✍️ठिठका हुआ न्याय और
****************** न्याय को तरसती भारत
****************** की जनता।
कोलकाता हाई कोर्ट में ब्रिटिश शासन काल में प्रिवी काउंसिल हुआ करती थी लेकिन उसमें कोई भी प्रिवी काउंसिल का अध्यक्ष किया सदस्य ब्राह्मण नहीं बन सकता था क्योंकि अंग्रेजों ने लिखा है कि ब्राह्मणों के पास न्यायिक चरित्र नहीं होता न्यायिक चरित्र का मतलब निष्पक्षता का भाव अर्थात निष्पक्ष रहकर जब एक जज दोनों पक्षों की दलील सुनता है और न्याय के सिद्धांत के अनुसार अपनी मनमानी ना करते हुए जो सही है उसके पक्ष में न्याय दें उसे ही न्यायिक चरित्र कहते हैं ऐसा न्याय चरित्र ब्राह्मणों में नहीं होता है यह अंग्रेजों का कहना था कि ब्राह्मणों में न्यायिक चरित्र नहीं होता है वह हर फैसले को अपने जातिवादी हितों को ध्यान में रखकर फैसला देता है सुप्रीम कोर्ट में बैठे हर ब्राह्मण जज का फैसला ओबीसी, एससी, एसटी, शिख, मुस्लिम, ईसाइ और बोध्द के खिलाफ होता है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति में कॉलेजियम का सिद्धांत दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं यह केवल भारत में ही है इसका कारण यह है कि अल्पमत वाले ब्राह्मण लोग बहुमत वाले बहुजन लोगों पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं। जो बहुमत में( बहुजन) है वह अपने हक अधिकार के प्रति धीरे-धीरे जागृत हो रहा है इससे ब्राह्मणों के मन में और सिस्टम में संकट खड़ा हो रहा है इस संकट से बचने के लिए न्यायपालिका का इस्तेमाल ओबीसी एससी एसटी मुस्लिम बोध्द के विरुद्ध इस्तेमाल कर रहे हैं।
वर्तमान समय तक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगभग 90% ब्राह्मण और ऊंची जाति के लोगों का ही कब्जा है जब तक ओबीसी एससी एसटी मुस्लिम बौद्ध ईसाई सिख का न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व नहीं मिल जाता तब तक न्याय मिलना असंभव है हमारे बहुजन लोगों को न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व नेतृत्व बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश, उच्च शिक्षा के जरिए करना चाहिए अंग्रेजी शासन के समय अंग्रेज लोग कहते थे कि ब्राह्मण लोग कभी भी न्याय के पर्याय नहीं हो सकते हैं क्योंकि उनके डीएनए में न्याय देना है ही नहीं क्योंकि यह उनके धर्म ग्रंथ में यही लिखा है वह उसी का अनुकरण करते हैं जातिवाद पाखंड, दुष्टता पक्षपात यह उनकी मानसिकता और उनके जेहन में कूट-कूट कर भरा है वह कई हजार साल से ऐसा ही कर रहे हैं इसका उदाहरण आज भी ग्वालियर हाईकोर्ट में बाबा साहब की मूर्ति लगाने पर इसका विरोध पाठक और मिश्रा नाम के दोनों ब्राह्मण ही सबसे ज्यादा विरोध कर रहे हैं यह कार्य वह ऐसा लगातार पक्षपात पूर्वक लगभग कई हजार सालों से कर रहे हैं इसका उदाहरण अयोध्या जिसका पुराना नाम साकेत नगरी जिसकी खुदाई में तमाम बौद्ध धर्म की मूर्ति चक्र कई सारी प्रतीक चीजें बौद्ध धर्म से संबंधित मिली लेकिन भारत की कोर्ट ने बौद्ध धर्म के लोगों की रिट तक नहीं स्वीकार किया उसे तीसरा पक्ष तक नहीं बनाया यह है भारत की पक्षपातपूर्ण,भेदभावपूर्ण अन्यायपूर्ण न्याय व्यवस्था है इसी का एक उदाहरण उत्तर प्रदेश में एक अबोध बालिका का बलात्कार होता है उसके प्राइवेट पार्ट में लकड़ी डालकर हत्या कर दी जाती है मामला थाने तक पहुंचता है वहां की शासन प्रशासन व्यवस्था बदनामी के डर से उसे लड़की के शव को कब्जे में लेकर उसके माता-पिता से बिना मिलवाए ही रातों-रात उसका शवदाह कर दिया जाता है यह मामला उत्तर प्रदेश के न्यायालय के संज्ञान में नहीं आया जबकि पूरे भारत में इसकी गूंज का भूचाल आया हुआ था लेकिन व्यवस्था आंख मुदं कर सोती रही ईस विषय मे कोई एक्शन नहीं लिया क्योंकि ब्राह्मणों के डीएनए में न्याय देना नहीं है ईसी कड़ी में वर्मा नाम के सुप्रीम कोर्ट के जज के निजी मकान में कई करोड़ की नगदी जली हुई और अधजले नोट मिलते हैं लेकिन भारत की न्याय व्यवस्था और शासन व्यवस्था में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की यह कहावत इसीलिए बनी कोर्ट में जाइए लेकिन एक हाथ में हुंडी और एक हाथ में मुंडी होना चाहिए जिसे अपनी भाषा में जिसके हाथ में लाठी होगी वही भैंस ले जाएगा तो फिर भारत की गरीब और मजलूम जनता को न्याय कैसे मिलेगा यही लोग हैं जिनके हाथ में न्याय की लाठी है ।जिन्होंने भारत की आजादी को अपने कब्जे में ले रखा है भारत के हर नागरिक को न्याय पाने का अधिकार है लेकिन चंद लोगों के हाथों में न्याय व्यवस्था शासन प्रशासन व्यवस्था कैद है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश में इंदौर आलोट देवास जिले में सरकारी जमीन पर बने हुए शमशान में भी ऊंची जाति के लोग निचली जाती के लोगों को शव नहीं जलाने देते इसकी सैकड़ो घटनाएं मंप्र में हो चुकी है तथा दूल्हे की बिंदोली नहीं निकलने देना घोड़ी पर नहीं बैठने देना घोड़ी से उतार देना बारात पर पत्थर फेंकना मंदिर में प्रवेश नहीं देना यह सब घटनाएं मध्य प्रदेश में हमेशा से हो रही है लेकिन इन घटनाओं पर कभी भी मध्य प्रदेश शासन और न्याय व्यवस्था ने कभी ध्यान देकर संज्ञान में नहीं लिया और जब लोगों ने थाने में FIR करने की कोशिश किया तो उनको भी टरका कर भगा दिया यह है भारत की शासन और न्याय व्यवस्था क्या यह घटना मध्य प्रदेश की न्यायाधीशों के संज्ञान में नहीं आई होगी जबकि इन घटनाओं से समाचार पत्र भरे पड़े हुए हैं क्या ऐसे कृतियों पर शासन और न्याय व्यवस्था लगाम नहीं लगा सकती लेकिन ऐसे अमानवीय कृत्य को मध्य प्रदेश की शासन व्यवस्था और न्याय व्यवस्था मुक बनकर देख रही है।
साथियों अब समय आ गया है कि हमें बाबा साहब के स्लोगन को आत्मासात करते हुए, शिक्षित,और संगठित होकर संघर्ष करने का समय आ गया है शिक्षित तो हम हो गए लेकिन अभी संगठित होकर संघर्ष का जन सैलाब तैयार करना जिस प्रकार से सन 1992 में दादर के चैत्य भूमि मैदान में उपमुख्यमंत्री मायावती माननीय कांशीराम जी उस समय के शिक्षा मंत्री रशीद मसूद की तथा अविभाजित मध्य प्रदेश के उस समय के बीएसपी के अध्यक्ष दाउराम रत्नाकरजी जिनके सानिध्य में महाराष्ट्र में बाबा साहब की कार्य भूमि और शिवाजी महाराज की रणभूमि के संग्राम को आत्मसात करते हुए महाराष्ट्र की पावन भूमि पर जाति तोड़ो समाज जोड़ो का जो आंदोलन किया था इसका परिणाम यह था कि महाराष्ट्र के बहुजन 24 वर्ष से लगातार मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी के नाम पटृ के आगे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर लिखने के लिए सतत 24 साल से महाराष्ट्र के बहुजन आंदोलन कर रहे थे लेकिन 24 साल में महाराष्ट्र की सत्ता के सिर में जूं तक नहीं रेंगी लेकिन जब तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार जी ने जब टीवी पर देखा तो बहुजन का सैलाब मुंबई के चप्पे-चप्पे पर उपस्थित था और चैत्य भूमि के मैदान में पैर रखने की भी जगह नहीं थी इसी जनसैलाब घबरा कर तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने रातों-रात मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी नाम पटृ के आगे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर लिखवा दिया यह होती है जनशक्ति की ताकत इस जनशक्ति के सैलाब में मैं भी अपने समाज का सिपाही बनकर रैली की शक्ति को समझ रहा था और उसी दिन से मेरे मन में समाज की दुश्वारियां से लड़ने की विचारधारा कूट-कूट कर भरती जा रही थी जो अब कलम के जरिए में समाज को नमन करते हुए उनके स्वाभिमान को जगाने के लिए अपनी भावनाएं समर्पित कर रहा हूं। तो इस जनशक्ति का रेला तैयार करने का अब समय आ गया ताकि हमारे मध्य प्रदेश के हमारे समाज के ऊपर जो अमानवीय कृत्य भेदभाव पूर्वक यहां की शासन प्रशासन व्यवस्था के विरुद्ध रेला करने की जरूरत है ताकि जनसैलाब को देखकर यहां की सरकार हमारे लोगों के साथ में जो भेदभाव जैसे इंटरव्यू में फेल कर देना, कापी जांचने में कम नंबर देना ऑफिस में हमारे काम को अटका देना, पुलिस थाने में हमारे लोगों को टरका कर भगा देना सही तरीके से FIR मे कलम नही लगाना जातिवादी भेदभाव करना,
हमारे लोगों के ऊपर झूठे मुकदमा लगाना, अनावश्यक कलम लगा देना और कई कई साल तक कोर्ट के चक्कर लगवाना और बद से बद्तर जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर देना
हमें ऐसे आंदोलन का रेला खड़ा करना है जिससे मध्य प्रदेश की सरकार घबराकर इन विषयों के लिए एक बोर्ड का गठन करें और सही तरीके से इन मामलों का निपटारा हो सके ताकि हमारा समाज सही तरीके से जीवन यापन कर सके
मानवीय मूल्यों को जी सके।
इन्हीं शब्दों के साथ अपनी समाज को नमन करते हुए मेरी कलम को विराम देता हूं। (जातिवाद हि सबसे बड़ा आतंकवाद है)
***************
जय भीम
******************
नमो बुद्धाय जय संविधान
********************
समाज के शुभ चिंतक, हितेषी,व कलमकार रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर RPF.K.L.LIMBOLA MUMBAI.