अरुण घायवान जी,, आकाश लामा ने विगत 3 महीने से चल रहे बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन को अचानक किसके निर्णय से स्थगित कर दिया थाॽ फिर किसके सलाह , दबाव से उसे पुनः चालू कर दिया है। इसी बात को लेकर भंते डॉक्टर करुणाशील और भंते विनाचार्य, और अन्य बौद्ध भिक्षु बौद्ध उपासक उपाशिकाएं, बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर आकाश लामा द्वारा आंदोलन स्थगित किए जाने से नाराज होकर लड़ाई झगड़ा रहा हैं। क्या आंदोलन स्थगित करके आकाश लामा एंड पार्टी ने कुछ गलत नहीं किया है ॽ
*परम आदरणीय आयुष्मान विजय बौद्ध साहब,संपादक,"दी बुद्धिस्ट टाइम्स",एवं अम्बेडकरी बौद्ध चिंतक,तथा भारत के समस्त अम्बेडकरी,बुद्धिस्ट,बुद्धिजीवी,*
*सप्रेम जयभीम,नमोबुद्धाय।*
*सभी सज्जनों को बुद्ध पूर्णिमा की मंगल कामनाएं*
*आज ऐन बुद्ध पूर्णिमा के दिन मीडिया में 3 माह से चल रहे बुद्ध गया महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन को स्थगित किये जाने की खबरें सुनकर सारे बौधजनों के साथ मेरा भी मन व्यथित,विचलित हुआ है। क्या यह खबर सही है?अगर सही है तो क्या यह कार्य सही हुआ?इसके पीछे कौनसी ताकते काम कर रही है?जबकि सारे देश के बौधजनों का इस ऐतिहासिक आंदोलन को तन मन धन से साथ मिला है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को हमें साथ मिला है।अगर किसी साजिश के तहत आंदोलन स्थगित किया गया है तो,इसका भंडाफोड़ होना चाहिए और साजिशकर्ताओं को सबक सिखाना चाहिए।*
आदरणीय एसआर शेडे साहेब, बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार ब्राह्मणों के कब्जे से मुक्त किए जाने विगत दिनों से चल रहे आंदोलन को पाकिस्तान भारत युद्ध की बात बात कर अचानक आकाश लामा और चंद्रबोधी पाटिल द्वारा संयुक्त रूप से आंदोलन स्थगित किए जाने की घोषणा करना अपने आप में संदेह पैदा करती है। क्योंकि यह आंदोलन किसी एक आकाश लामा या चंद्र बोधी पाटिल का नहीं था। यह आंदोलन समूचे देश और दुनिया के बौद्धों के अस्तित्व का आंदोलन था। बौद्ध विरासत को बचाने का आंदोलन था। उसे सर्वसम्मति से निर्णय लिए बिना आंदोलन स्थगित करने की घोषणा करना संदेह पैदा करता है। वैसे चंद्रबोधी पाटिल तथा कथित राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय बौद्ध महासभा, का संबंध अहमदाबाद गुजरात निवासी डॉक्टर पीजी ज्योतिकर से रहा है। और वे विश्व हिंदू परिषद आरएसएस भारतीय जनता पार्टी के अत्यंत करीबी संपर्क में रहे हैं। चंद्रबोधी पाटिल भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रामदास आठवले के कट्टर समर्थक है। आकाश लामा एवं चंद्रबोधी पाटिल द्वारा आंदोलन स्थगित किए जाने की घोषणा से समूचे बौद्ध भिक्षु जो मुख्य भूमिका में थे उन्होंने आंदोलन को कुचलना और बौद्ध समाज को बेचने का आरोप लगाया है। आंदोलन स्थगित करने की घोषणा करना और फिर तमाम बौद्ध भिक्षु और बौद्ध समाज के दबाव में आकर फिर आंदोलन जारी किए जाने की घोषणा करना यह अपने आप में एक षड्यंत्र है। जो सुनियोजित रूप से रचा गया था। आकाश लामा के जो साथ भदंत प्रज्ञाशील है। वह भी विवादित और संदेह के घेरे में है। जो पहले बीटीएमसी, बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मैनेजमेंट कमेटी में सेक्रेटरी रहे हैं। वहां से हट जाने के बाद बोधगया ब्राह्मणों के कब्जे से मुक्त किए जाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जब पद पर थे तब कोई लड़ाई आंदोलन नहीं किए। पूरे मामले में मैं विस्तार से संपादकीय लिखूंगा। विजय बौद्ध संपादक