*मैं मजदूर हूं मजबूर नहीं* यह कहने में मुझे शर्म नहीं। मैं अपने पसीने की खाता हूं, मैं मिट्टी को सोना बनाता हूं।

 



*मजदूर दिवस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का योगदान।* 


 *मैं मजदूर हूं मजबूर नहीं* यह कहने में मुझे शर्म नहीं। मैं अपने पसीने की खाता हूं, मैं मिट्टी को सोना बनाता हूं।

राष्ट्र निर्माण में जुटे कर्मठ श्रमिकों भाइयों को समर्पित।

मजदूर दिवस की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।

 *डॉ. भीमराव आंबेडकर* ने 1936 में ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ की स्थापना कर यह सिद्ध कर दिया कि वे मजदूर, गरीब, शोषित और पीड़ित वर्ग के सच्चे हितैषी थे। जब पूरी दुनिया 8 घंटे के कार्य दिवस की मांग कर रही थी, तब बाबा साहब ने भारत में इसे लागू करवा कर मजदूरों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया। 27 नवंबर 1942 को उन्होंने भारतीय श्रम सम्मेलन के 7वें सत्र में 14 घंटे की ड्यूटी को घटाकर 8 घंटे करने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकृति मिली।

बाबा साहब ने महिला श्रमिकों के लिए भी विशेष योगदान दिया। उन्होंने ' *खान मातृत्व लाभ अधिनियम* ', ' *महिला श्रमिक कल्याण कोष* ' और ' *महिला एवं बाल श्रम संरक्षण अधिनियम* ' जैसे कई कानून बनाए। उन्होंने महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश और सुरक्षा के प्रावधान सुनिश्चित किए। साथ ही, 'कोयला खदानों में भूमिगत कार्य पर महिलाओं के रोजगार पर प्रतिबंध' जैसी व्यवस्थाएँ लागू कीं।

डॉ. अंबेडकर ने न केवल श्रमिकों की वेतन, अवकाश और बीमा की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि ‘कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम’, ‘महंगाई भत्ता’, ‘वेतनमान संशोधन’, ‘न्यूनतम मजदूरी अधिनियम’ और 'कोयला व मीका खान श्रमिक कल्याण निधि' जैसे प्रावधानों के माध्यम से मजदूरों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की। भारत पहला ऐसा देश बना जिसने कर्मचारियों की भलाई के लिए बीमा अधिनियम लागू किया।

1942 में बाबा साहब ने ‘त्रिपक्षीय श्रम परिषद’ की स्थापना की, जिससे श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच संवाद और समान अवसर सुनिश्चित हो सके। उन्होंने इंडियन ट्रेड यूनियन (संशोधन) विधेयक लाकर यूनियनों को वैधानिक मान्यता दी और हड़ताल को श्रमिकों का मौलिक अधिकार माना। इसके साथ ही उन्होंने श्रम को समवर्ती सूची में शामिल कराया और श्रमिक आंदोलन को सशक्त किया।

डॉ. अंबेडकर ने जल और विद्युत नीति, ग्रिड सिस्टम और इंजीनियर प्रशिक्षण जैसी योजनाएं भी शुरू कीं, जो आज भी भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनका मानना था कि देश के आर्थिक विकास में श्रमिकों और दलित वर्गों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। मजदूर दिवस पर डॉ. अंबेडकर को स्मरण करना हमारा कर्तव्य ही नहीं, एक गर्व की बात भी है।


 *जय भीम* !

 *जय संविधान* !

👏👏👏👏👏👏👏👏

Featured Post

बुद्ध_पूर्णिमा"(बुद्ध जयंती) -- धम्मभूमि -* श्रेष्ठ जीवन के लिए एक आंदोलन.

  *धम्मभूमि -* श्रेष्ठ जीवन के लिए एक आंदोलन... ☸️🎷त्रिविध पावन पर्व #बुद्ध_पूर्णिमा"(बुद्ध जयंती) 12 मई 2025🎷☸️ *विश्व को शांति और म...