अब पुजारी भी पिटेंगे~~~* *~~~एक दिन जजमान से


*~~~~अब पुजारी भी पिटेंगे~~~~*

*~~~~एक दिन जजमान से~~~~*


*तल्खियाँ कितनी भरी हैं, आज भी जज्बात में।*

*डाल कर सिन्दूर भागे थे, अँधेरी रात में।*

भीख माँगी भूख से, बेजार थे फाँका किये।

ओट पर्दे की लिये ये, हर चमन झाँका किये।

*राग दरबारी चला कर, मौत के मंजर किये।*

*वे कहाँ, देखा जिन्होंने, हाथ में खंजर लिये।*

बहुत सारे लोग थे, सब कर रहे दीदार थे।

रास्ते टकरा गये थे, कुछ पुराने यार थे।

*कहर टूटा कुछ उलझ कर, रह गये इस खेल में।*

*जो बचे उनको यहाँ, डाला गया फिर जेल में।*

त्रासदी इतनी बढ़ी, कहते नजर में देश है।

भूख से लाचार हो, मरते रहो सन्देश है।

*मौत पर आँसू बहाना, इस तरह होता गया।*

*लोग जब तक जान पाते, देश ही रोता गया।*

आँख खोलो मत, गदर हर ओर है फैला हुआ।

आज उनके आचमन का, हाथ हर मैला हुआ।

*देख लो नेताओं ने, मारा पुलिस को शान से।*

*अब पुजारी भी पिटेंगे, एक दिन जजमान से।*

जानवर इस दौर में, दिल खोल कर काटे गये।

ढेर लाशों के नदी की, रेत में पाटे गये।

*देर काफी हो चुकी है, पर अभी अन्धेर है।*

*देख लो गीदड़ मुहल्ले में, अभी भी शेर है।*

बज रहा डंका मगर, आवाज क्यों आयी नहीं ?

हमने चुप रहने की अब तक तो, कसम खायी नहीं।

*झूठ बोला खेल में, सत्ता मिली सौगात में।*

*बाप दादे कहाँ भीगे, इस तरह बरसात में।*

*तल्खियाँ कितनी भरी हैं, आज भी जज्बात में।*

*डाल कर सिन्दूर भागे थे, अँधेरी रात में।*


*मदन लाल अनंग*

द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।

*1-*  वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी  *2700 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।

*2-* कृपया रचनाओं को अधिक से अधिक अग्रसारित करें।

*3-*सम्पर्क सूत्र~* 


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