जो हिंदू होगा उसकी जाति जरूर होगी
एक भी हिंदू बिना जाति का नहीं हो सकता
और कोई भी जाति या तो किसी से ऊंची होगी या किसी से नीची होगी
कोई भी दो जातियां एक बराबर नहीं हो सकती
तो हिंदू धर्म का अर्थ ही गैर बराबरी है
ऊंच-नीच ही हिंदू धर्म का आधार है
जो हिंदू होगा वह या तो दूसरे को अपने से ऊंचा मानेगा और कुछ को अपने से नीचे मानेगा
हिंदू दूसरे को अपने बराबर मान ही नहीं सकता
यही जाति व्यवस्था है
इसका पालन हम हजारों सालों से करते आ रहे हैं
अब यह हमारी सोच जीवन शैली धर्म विचार और समाज व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है
इस विचार के जिंदा रहते भारत का संविधान भारत में लागू हो ही नहीं सकता
संविधान समानता की गारंटी देता है
धर्म असमानता का प्रचार करता है
धर्म और लोकतंत्र एक साथ नहीं रह सकते
एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती
भारत में श्मशान में दूसरी जाति की लाशें नहीं जलने दी जाती है
अलग-अलग जातियों के लड़के लड़की शादियां कर लें तो उनका कत्ल कर दिया जाता है
अलग-अलग जातियों के लोग साथ बैठकर खाना नहीं खा सकते
यह लोग ख़ाक संविधान का पालन करेंगे