*"📗🖊️आन्दोलन के संदर्भ में भारतीय संविधान शिल्पी डॉक्टर बीआर अम्बेडकर ने कहा था कि 👉"मुझे निष्ठावान लोग चाहिए, बुद्धि की कमी (भरपाई) मैं पूरी कर दुंगा l*
*👉 आंदोलन वह होता है जिसका एक उद्देश्य (मकसद) होता है और करोड़ों करोड़ों लोग उसे पूरा करने के लिए कार्य करते हैं अर्थात मकसद एक और करोड़ों लोगों का सहभाग, जब करोड़ों लोग एक साथ एक लक्ष्य की पूर्ती के लिए काम करते हैं तब जाकर कोई बड़ा काम होता है, छोटा काम तो चंद आदमी भी पूरा कर लेते हैं बड़ा काम या बड़ा मकसद एक आदमी के बस की बात नहीं है. बड़ी समस्याओ का अगर समाधान करना चाहते हैं तो बड़ी ताकत का निर्माण करना होगा, राष्ट्रीय स्तर की संगठित शक्ति का निर्माण करना होगा l जब एक उद्देश्य, एक लक्ष्य, एक ही मकसद के लिए सभी की निष्ठा हो, तब एक विशाल संगठित शक्ति का निर्माण होगा और उस विशाल संगठित शक्ति का समय, काल तथा परिस्थितियों के अनुसार उपयोग और प्रयोग करने वाली नेतृत्व क्षमता (Leadership) भी उपलब्ध हो तब जाकर बड़ा काम किया जा सकता है.*
*राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले ने व्यवस्था परिवर्तन का एकल (सिंगल हैंडेड) आंदोलन चलाया था, क्रांतसूर्य बिरसामुंडा ने साहुकारो, महाजनो एवं दीकूओ के खिलाफ स्वयं अकेले नेतृत्व कर आंदोलन चलाया l भारतीय संविधान शिल्पी बाबा साहब डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने अकेले अपने बलबूते पर आंदोलन चलाया और परिणाम निकालकर बताया l*
*डॉक्टर बीआर अंबेडकर का इतिहास हमारे सामने है, बाबा साहब के समय में उनके साथ जो बुद्धिजीवि लोग काम कर रहे थे उनके ऊपर बाबा साहब को भरोसा नही था, इसीलिए बाबा साहब निराश, दु:खी होकर कहते हैं कि मैं बेशुमार मुसीबतों, कठिनाइयों का सामना करके व्यवस्था परिवर्तन के इस कारंवा को यहां तक लाया हूं लेकिन मुझे इस कारंवा को आगे ले जाने के लिए दूर- दूर तक कोई नौजवान नजर नहीं आता है, 👉बाबा साहब किसी नौजवान मे कौनसा गुण देख रहे थे, जो उन्हे किसी नौजवान मे दिखाई नहीं दे रहा था. बाबा साहब को व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य के प्रति निष्ठा किसी नौजवान मे नजर नहीं आ रही थी l*
*👉उद्देश्य के प्रति निष्ठा के संबंध में बाबा साहब डॉ बीआर अंबेडकर के आंदोलन के समय के कुछ ऐतिहासिक उदाहरणों से समझा जा सकता है l*
*📗🖍️उदाहरण नंबर (1) आरडी भंडारे (रामचंद्र धोंडीब भंडारे) जो कि बाबा साहब के साथ काम करने वाले विश्वसनीय व्यक्ति थे, बाद में कांग्रेस ने आर.डी. भंडारे को बिहार का राज्यपाल बनाया था, एक बार बाबा साहब को आंदोलन चलाने के दौरान किसी काम के लिए 25000(रु.पच्चीस हजार) की जरूरत थी, उस समय के कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता एसके पाटिल (सदाशिव कानोजी पाटिल) जो बाबा साहब के समर्थक भी थे, एस.के. पाटिल से बाबा साहब ने पच्चीस हजार(25000रू) रुपए की मांग की, एस.के. पाटिल ने बाबा साहब को 25000रु देने का आश्वासन दिया, तब बाबा साहब ने अपने साथ काम करने वाले विश्वसनीय व्यक्ती आर.डी. भंडारे को एस.के. पाटिल के पास रुपए लेने भेजा l आरडी भंडारे को एस.के. पाटिल ने 25000रु दे भी दिए, मगर आरडी भंडारे ने वह 25000रु बाबा साहब को दिए ही नहीं स्वयं रख लिए l इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि जो लोग बाबा साहब के साथ धोखा कर सकते हैं वे कितने बड़े धोखे बाज होंगे, बाबा साहब को धोखा देने वाले आर.डी. भंडारे को कांग्रेस पार्टी ने बिहार का महामहिम राज्यपाल बनाकर उपकृत और पुरुषकृत किया l*,
*उदाहरण नंबर 2📗🖍️ आर.आर. भोले बाबा साहब के आंदोलन में काम करने वाले एक कार्यकर्ता थे, जब 24 सितंबर 1932 में पूना पेक्ट हुआ था, तब पूना पेक्ट के विरोध में बाबा साहब के कहने पर आर.आर .भोले ने जेल भरो आंदोलन चलाया था l पूना पेक्ट के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कांग्रेस पार्टी ने 1982 में पूना पेक्ट के समर्थन में एक कार्यक्रम करने की योजना बनाई और उस कार्यक्रम के लिए एक कमेटी गठित की गई, जिसका चेयरमैन आर.आर. भोले को बनाया गया. 👉🤔अर्थात जिस आरआर भोले नामक आदमी ने बाबा साहब के कहने पर पूना पेक्ट 1932 के विरोध में जेल भरो आंदोलन चलाया था, उसी आर.आर. भोले को कांग्रेस पार्टी ने 1982 में पूना पेक्ट के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम की कमेटी का चेयरमैन बनाया , क्या आरआर भोले ने इसके बदले कुछ नहीं लिया होगा l*
*बाबा साहब डॉ बी.आर. अंबेडकर के साथ काम करने वाले उक्त दो लोगो के उदाहरण निष्ठा के संबंध में यहां प्रस्तुत किये गये है ताकि आंदोलन के इतिहास एवं व्यवस्था परिवर्तन एवं सामाजिक निष्ठा के संबंध में सीख लेने के लिए लोगो को कुछ सीखने , समझने, चिन्तन मनन करने को मिले🌹🙏🙏🌹 ll*
*जय जोहार, जय भीम, जय बिरसा, जय ज्योतिबा, जय भारत, जय मूलनिवासी 🙏🙏 l*