नेहा सिंह राठौर का एक संक्षिप्त विमर्श:
“कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ और पर्यटकों की हत्या कर दी गई। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। आप कहां सोए हैं, चौकीदार जी? आपकी चौकीदारी में कैसे चूक हो गई? आंख लग गई थी क्या? आपने तो नोटबंदी करके आतंकियों की कमर तोड़ दी थी। फिर यह कैसे हो गया? मतलब, फौजियों से कब तक देश चलेगा, महाराज? इस हमले के लिए भी नेहरू जी जिम्मेदार हैं क्या?
कोई पत्रकार आपसे सवाल नहीं पूछेगा। आप कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस भी नहीं करेंगे, और आप कोई जिम्मेदारी भी नहीं लेंगे। यह बात अभी से पूरा देश जानता है। लेकिन श्रीमान, मैं आपसे सवाल पूछूंगी। देश अब सच में जानना चाहता है कि इतना महंगा शेर पालने के बाद भी देशवासियों की हत्या कैसे हो गई?
आपकी 56 इंच की छाती और लाल आंखें किस काम की हैं? सर्जिकल स्ट्राइक क्या सच में एक कहानी थी? अनुच्छेद 370 पर बड़ी-बड़ी बातें किस काम की रहीं? पुलवामा हमले में जवान मारे गए, पहलगाम हमले में पर्यटकों की हत्या हो गई। बताइए, मोदी जी — क्या कश्मीर की शांति आतंकवादियों की मेहरबानी पर टिकी है?
जवाब दीजिए, मोदी जी! कब तक कश्मीर में शांति बहाली के नाम पर वोट बटोरने और देशवासियों की लाशें बटोरने का काम एक साथ होता रहेगा?
आपके प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में लाखों लोग मारे जा चुके हैं — कभी ऑक्सीजन की कमी से, कभी वैक्सीन के रिएक्शन से, कभी पुल गिरने से, तो कभी रेल दुर्घटनाओं और भगदड़ों में कुचलकर। लाखों लोग अकाल मौत मारे गए। लेकिन आपने कभी कोई जिम्मेदारी नहीं ली।
आप देशवासियों की मौतों की जिम्मेदारी कब लेंगे? आप अपनी चूक कब स्वीकार करेंगे? क्या देशवासियों का जीवन आपकी गलतियों पर न्योछावर होने के लिए है?”