UPSC में अगड़ी जातियों का ओवर रिप्रजेंटेशन — सामाजिक न्याय के लिए जाति जनगणना जरूरी
हाल ही में UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 का परिणाम घोषित हुआ, जिसमें कुल 1009 उम्मीदवारों का चयन हुआ है। यदि हम चयनित उम्मीदवारों का वर्गीकरण देखें:
General : 335 उम्मीदवार
OBC : 318 उम्मीदवार
SC : 160 उम्मीदवार
ST : 87 उम्मीदवार
EWS : 109 उम्मीदवार
यहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य उभर कर सामने आता है — General + EWS मिलाकर कुल 444 उम्मीदवार, यानी कुल चयन का 44%, अगड़ी जाति (Savarn) समुदाय से हैं।
जबकि देश की जनसंख्या संरचना कुछ इस प्रकार है:
सवर्ण (General) आबादी : लगभग 10%
OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) : लगभग 55%
SC (अनुसूचित जाति) : लगभग 24%
ST (अनुसूचित जनजाति) : लगभग 10%
स्पष्ट है, जिनकी जनसंख्या मात्र 10% है, वे देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में 44% सीटों पर कब्जा किए हुए हैं। यह केवल एक असमानता नहीं, बल्कि एक संरचनात्मक अन्याय और सिस्टमेटिक स्कैम है, जो दशकों से चलता आ रहा है।
यह ओवर रिप्रजेंटेशन क्यों गंभीर मुद्दा नही है ?