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अप्रैल, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ST + SC + OBC - Summer camp - Spoken English & Personality development course.

   Summer camp  ________________  Spoken English & Personality development course.  1 may से आओ अंग्रेजी बोलना सीखे समय 5:30 से 7 बजे तक  स्थान डॉ आम्बेडकर शान्ति बुध विहार पुराना नगर एन वन ए सेक्टर वाड 59 नगर निगम कार्यालय के पीछे   शुल्क मात्र 50/रुपये , duration एक महा का  सम्पर्क सूत्र 6260785451  डॉ आम्बेडकर शिक्षण संस्थान भोपाल। जो बौद्ध ज्ञान एजुकेशन एवम् समाज सेवा समिति  से सम्बंधित है  यदि, आम्बेडकरवादी, बुद्धिस्ट,sc,st, obc, गरीब मजदूर, आपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखना चहाते हो तो उनको जातिवाद, धर्म, से दुर रखें, बच्चों को धर्म जाति के झंडे ना पकडाये,उनको  अन्य धर्मों और , आन्दोलन से बचायें, आपने बच्चों को केवल शिक्षण से जोड़े, उनको उच्च शिक्षण,से जोड़े,उनको डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, उच्च अधिकारी बनाये, उनको महा पुरूषों के विचार, वाले बनाये, वे बुद्धिस्ट, आम्बेडकरवादी, बने इन सब के लिए आवश्यक है कि हमें अपने sc, st, obc, आम्बेडकरवादी, बुद्धिस्ट, समाज के , स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी, नर्सरी स्कूल, प्रथामिक, मा...

आतंकवादी धर्म से नहीं, सोच से होता है।

  एक कड़वी सच्चाई जो कोई सुनना नहीं चाहता… पहलगाम में जब आतंकी हमला हुआ — पर्यटक डर रहे थे, गोलियाँ चल रही थीं, खून बह रहा था, लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे… और तब, जिन्होंने सबसे पहले जान की परवाह किए बिना बचाने की कोशिश की — वे मुसलमान थे। जिन्होंने अपनी पीठ पर घायल हिंदुओं को उठाकर सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया — वे मुसलमान थे। जिन्होंने आतंकियों से घिरते हुए खुद को ढाल बनाया — वे मुसलमान थे। जिन्होंने हॉस्पिटल में इलाज किया, एम्बुलेंस चलाई, खून दिया — वे मुसलमान थे। और जिनकी जान चली गई… हिंदुओं की जान बचाने के प्रयास में — वे भी मुसलमान थे। लेकिन… जो सुरक्षा देने का वादा कर सत्ता में बैठे हैं — वे हिंदू थे। जिन्होंने बॉर्डर को सुरक्षित रखने में विफलता दिखाई — वे हिंदू थे। जिन्होंने PM का दौरा रद्द किया, लेकिन आम जनता को बिना चेतावनी के छोड़ दिया — वे हिंदू थे। जिन्होंने सुरक्षा बलों को कमजोर किया, इनपुट्स को नज़रअंदाज़ किया — वे हिंदू थे। जो मीडिया में चिल्ला रहे थे ‘कश्मीर अब शांत है’ — वे हिंदू थे। और सबसे शर्मनाक — जब इंसानियत ज़मीन पर लड़ रही थी, तब सोशल मीडिया पर हिंदू ट्रो...

धार्मिक आतंकवाद ही नहीं, जातीय आतंकवाद भी है इस देश की सच्चाई

  धार्मिक आतंकवाद ही नहीं, जातीय आतंकवाद भी है इस देश की सच्चाई —————————————— भारतीय राजनीति में एक सच्चाई अब किसी से छुपी नहीं है—भाजपा की राजनीति धर्म आधारित है। हर बार जब यह नैरेटिव कमजोर पड़ता है, देश में अचानक कोई दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना घट जाती है—कभी पुलवामा, तो कभी पहलगाम। सवाल ये है कि क्या हर बार देश की सुरक्षा और खुफिया तंत्र की विफलता का जिम्मेदार कोई नहीं? अगर धर्म के नाम पर हत्या आतंकवाद है, तो जाति के नाम पर हत्या उससे कम कैसे? NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़े बताते हैं कि जातीय हिंसा के कारण मरने वालों की संख्या आतंकवाद से ज़्यादा है, फिर भी इस पर कोई चर्चा क्यों नहीं होती? टीवी डिबेट में पाकिस्तान का पानी रोकने की बातें होती हैं, लेकिन क्या कभी ‘जातिवादी हिंसा’ का पानी रोकने की बात होगी? मीडिया की चुप्पी और सरकार की नाकामी जब भी कोई आतंकी हमला होता है, सरकार की सुरक्षा विफलता को उजागर करने के बजाय हमारा चाटुकार मीडिया उसे तुरंत धार्मिक एंगल दे देता है। बात accountability की होनी चाहिए थी, लेकिन बनती है मज़हब की। देश को वादों में 56 इंच का सीना ...

देशका भविष्य किसीके हाथ सौंपा है इसका मतलब हाथ की पलटी मार तमाशा देखते खडे रहने के लिए नही सौपा है.हालात बिगाडते जाऐंगे और हम ताली और थाली पिटते खडे रहगे इसका यह मतलब नही है.

  देशका भविष्य किसीके हाथ सौंपा है इसका मतलब हाथ की पलटी मार तमाशा देखते खडे रहने के लिए नही सौपा है.हालात बिगाडते जाऐंगे और हम ताली और थाली पिटते खडे रहगे  इसका यह मतलब नही है.किसी भी हालातमें मौलिक अधिकारोंको आंच ना आने दो.माना की लोकतंत्रमें गुन्हगार नही होते लेकीन जो होते है उन्हे लोकतंत्र रास नही आता है. वे हमेशा जनताके मौलिक अधिकारोंको दबाकर अपनी श्रेष्ठता सिध्द किया करते है.इसमे फिर अष्टावक्र चक्र क्यों न अपनाना पडे, जेबसे तो कुछ खर्चा होता नही है पब्लिक का तिजोरी मे  जमा पैसा खुदकी कुर्सी सहेजनेके लिए इस्तमाल किया जाता है.हालात नजरोंके सामने गंभीर बनाके रखंगे और हम तमाशा देखते रहे ताली और थाली पिटते रहे यह हमारा काम नही है.  देशका लोकतंत्र सही मे बचाना है तो जुल्मकारोंके खिलाफ हर तौर तरीके अपनाने होगें.कमजोर की जान मरनेके बराबर होती है क्या उपरवाले ने इनके हाथो जानवरोके जैसा मरनेके लिए हमे पैदा किया है?सवाल यह है, हमारा भविष्य अपने परिवारोंका भविष्य यदि खतरेमे नही डालना चाहते तो समजले अभी वक्त है.वक्त गुजरता जाएगा और "अभी वक्त है" खत्म हो जाएगा.इसके पहले कदम ...

भूत, भाग्य, भगवान के पचड़े से बहुजनों को बाहर निकलना ही होगा!

  *भूत, भाग्य, भगवान* *के पचड़े से बहुजनों को बाहर निकलना ही होगा!* *भूत प्रेत चुड़ैल--*  ये सब सिर्फ शब्द हैं जो हम बचपन से सुनते आए हैं इनका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं होता , इनके बारे में ऐसा बताया जाता है कि जिन लोगों की  दुर्घटना या हत्या आदि के कारण मृत्यु हो जाती है उनकी आत्मा भूत प्रेत चुड़ैल वगैरह बनकर भटकती रहती है और कुछ डरपोक किस्म के लोगों के सिर पर सवार होकर उन्हें सताती है और तांत्रिकों द्वारा (जो अधिकतर अनपढ़ या थोड़ा ही पढ़े लिखे होते हैं) तंत्र मंत्र कर्मकांड द्वारा उनसे छुटकारा दिलाने का दावा किया जाता है हमारे देश में बहुत सारे मजार या देवस्थान भी भूतबाधा छुड़ाने के सेंटर के रूप में प्रसिद्ध हैं। मैं  बचपन से ही ढूंढ़ रहा हूं मुझे कहीं कोई भूत चुड़ैल वगैरह नहीं आज तक नहीं मिले  और न मिलेंगे क्योंकि इनका कोई अस्तित्व है ही नहीं। सिर्फ पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी व अशिक्षा के कारण चला आ रहा मनोविकार है जो शिक्षा व जीवन स्तर में सुधार के साथ धीरे धीरे खत्म हो रहा है। भला सोचिए यदि पेड़ से गिरकर कुंए में गिरकर या हत्या करने से मरने वाला व्यक्ति भूत बन...

धर्मतन्त्र और लोकतंत्र का समानान्तर मॉडल-

  *धर्मतन्त्र और लोकतंत्र का समानान्तर मॉडल-*      आज देश में धर्मतन्त्र और लोकतंत्र दो प्रकार के मॉडल कार्य करते हैं। धर्मतंत्र लोगों का चरित्र बनकर प्रभावसाली बना हुआ है तो लोकतंत्र उस चरित्र के विरोध को सहते हुए अपने आपको स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। यहाँ इन दोनों व्यवस्थाओं के अंतर्विरोधों को निम्न डायग्राम के द्वारा समझने का प्रयास करते हैं :-         *(A)*                    *(B)* विषमता का मॉडल  समता का मॉडल   (धर्मतन्त्र)                  (लोकतंत्र)            ।                              ।      भगवा                       तिरंगा          ।                        ...

कोई समुदाय स्वयं को केवल तभी गतिमान रख सकता है जब वह राजसत्ता पर अपना नियंत्रणकारी प्रभाव रख सकने लायक हो।

  कोई समुदाय स्वयं को केवल तभी गतिमान रख सकता है जब वह राजसत्ता पर अपना नियंत्रणकारी प्रभाव रख सकने लायक हो। राजसत्ता पर अपना नियंत्रणकारी प्रभाव रख कर मामूली से मामूली जनसंख्या वाला अल्पमत समुदाय भी किस तरह समाज में अपनी सर्वोच्च हैसियत बरकरार रख सकता है, भारत में ब्राह्मणों की वर्चस्वपूर्ण स्थिति इसकी जीती जागती मिसाल है। राजसत्ता पर नियंत्रणकरी प्रभाव निहायत जरूरी है क्योंकि इसके बिना राज्य की नीति को एक दिशा देना संभव नहीं है, और प्रगति का सारा दारोमदार तो राज्य की नीति पर ही होता है - डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर

SC + ST + OBC - जाति प्रमाण पत्र का नमूना उन लोगों के लिए है जिनके पास बौद्ध धर्म अपनाने के बाद जाति आधारित लाभों के बारे में प्रश्न हैं।

जाति प्रमाण पत्र का नमूना उन लोगों के लिए है जिनके पास बौद्ध धर्म अपनाने के बाद जाति आधारित लाभों के बारे में प्रश्न हैं। Caste Certificate sample for those who have questions about the Caste based benefits after Embracing Buddhism.

बीटीएमसी एक्ट 1949 खत्म किए जाने कौन सा मार्ग सार्थक होगाॽ क्या संविधान के अनुच्छेद 25,2बी में संशोधन के लिए लड़ाई लड़ना पड़ेगाॽ

  बीटीएमसी एक्ट 1949 खत्म किए जाने कौन सा मार्ग सार्थक होगाॽ क्या संविधान के अनुच्छेद 25,2बी में संशोधन के लिए लड़ाई लड़ना पड़ेगाॽ विजय बौद्ध संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल मध्य प्रदेश, ,,,,,,,,,,,,,,स्वतंत्र भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया था। और 26 जनवरी 1950 को लागू हो गया था। संविधान के अनुच्छेद 13 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है। कि भारत का संविधान निर्माण के पूर्व जितने भी देश में कानून है। थे, चाहे मनुस्मृति हो या अन्य स्मृतियां सभी निष्प्रभावी माने जावे। बीटीएमसी एक्ट 1949 में बना है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद आर्टिकल 13 के तहत अपने आप अस्तित्वहीन हो जाता है। यह कानूनी प्रक्रिया है। बीटीएमसी एक्ट 1949 खत्म किए जाने की लड़ाई से अधिक महत्वपूर्ण और जरूरी लड़ाई है, संविधान के अनुच्छेद 25 2b में संशोधन किया जाना। क्योंकि इस अनुच्छेद के तहत सिख और बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म के अधीन रखा गया है। बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म में मान्यता दी गई है। बौद्ध धर्म स्वतंत्र धर्म नहीं है। इसी कारण बौद्धों का कोई पर्सनल लॉ मैरिज एक्ट नहीं है। जबकि हिंदू मैरिज एक्ट है। मुस्लिम मैर...

इजराइल का बढ़ता प्रभाव और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर चिंताएँ

  इजराइल का बढ़ता प्रभाव और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर चिंताएँ अब तक भारतीय जनमानस में इजराइल को मुख्यतः अपने पश्चिम एशियाई संघर्षों — फिलिस्तीन, लेबनान और ईरान — तथा भारत में पेगासस जासूसी कांड के संदर्भ में जाना जाता था। लेकिन हाल ही में सामने आई एक नई रिपोर्ट ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, लोकतंत्र और संप्रभुता को लेकर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। मुख्य खुलासे और चिंताएँ: 1. मोसाद की कथित साइबर जासूसी: रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने और उनके शेयरों में भारी गिरावट के बाद, इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सैम पित्रोदा के फोन हैक किए। * इस जासूसी का उद्देश्य अडानी पर हो रही आलोचनाओं और जांच को रोकना प्रतीत होता है। * यह घटना भारतीय विपक्ष की डिजिटल सुरक्षा और गोपनीयता पर सीधा हमला है। 2. अडानी-इजरायल गठजोड़: हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद, अडानी समूह ने इजराइल के हाइफा पोर्ट का अधिग्रहण किया — जिसे जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया गया। * प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू के बीच हुई सार्वजनिक बैठकों न...

भारत में राष्ट्रीय संसाधनों, सार्वजनिक संस्थाओं के निजीकरण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को खतरा!

  भारत में राष्ट्रीय संसाधनों, सार्वजनिक संस्थाओं के निजीकरण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को खतरा! ----------------------------------------------------------------         भारतीय वृद्धि विकास दर के विश्लेषण में संसाधनों एवं सार्वजनिक क्षेत्रों के औद्योगिकीकरण से निजी पूंजी,प्रबंधन,बाजार,को अधिक महत्व मोदी सरकार के देने से ग्रामीण विकास दर में गिरावट, शिक्षित नौजवानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय मोदी सरकार कर हैं, यह नौजवानों को समझना होगा। --------------------------------------------------------------       भारतीय अर्थव्यवस्था का संदर्भ-अर्थव्यवस्था उत्पादन,वितरण,खपत एक सामाजिक व्यवस्था है। यह किसी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गतिशील प्रतिबिंब÷ शब्दों का सबसे प्राचीन उल्लेख कौटिल्य द्वारा लिखित ग्रंथ अर्थशास्त्र में मिलता है।        अर्थव्यवस्था दो शब्दों से मिलकर बना है। (1)- अर्थ का तात्पर्य ÷ मुद्रा अर्थात् धन से है। (2)- व्यवस्था का तात्पर्य÷ कार्यप्रणाली के व्यवस्थापन से अर्थव्यवस्था,कार्यप्रणाली के स्वरुप-अर्थव्यवस...

सामाजिक,राजनैतिक,आर्थिक को धार्मिक कट्टरवाद से खतरा, पर चिंतन!

  👉 सामाजिक,राजनैतिक,आर्थिक को धार्मिक कट्टरवाद से खतरा, पर चिंतन!👇  ----------------------------------------------------------------       (कट्टरता से सामाजिक, आर्थिक राजनैतिक न्याय व्यवस्था एवं संविधान लोकतंत्र न्याय व्यवस्था को भी प्रभावित करने के साथ साथ देश की एकता,अखंडता संप्रभुता बंधुत्व को भी खतरा पैदा करती है। -------------------------------------------------------------------      👉(डिजीटल एडिटर बीबीसी हिन्दी)की रिपोटर राजेश प्रियदर्शी की कलम से----पाकिस्तान अपनी गलतियों के कारण तबाह और बर्बाद हो रहा है। भाजपा भारत में ऐसी ग़लती करने के षड्यंत्र को अंजाम दे रही है। भारत को पाकिस्तान जैसी गलती को रोकना चाहिए। जैसे पाकिस्तान बर्बादी है, ऐसे भारत को  भाजपा तबाह करने पर तुली हुई है। यह भारत को मजबूत नहीं कमजोर करने गलती को हम भारतीयों को रोकना होगा।     👉पाकिस्तानी दोस्तों जो आज लंदन में रहते है,उनसे खूब सारी बातें हुईं,तो मैंने पाकिस्तान के बारे में ठीक से जानकारी करने का अबसर मिला।उनसे बात करने कभी नहीं चूकता। पाकिस्तान ...

आग लगी है पहलगाम की मस्ती में

  *आग लगी है पहलगाम की मस्ती में* *ठाकुर घूम रहे दलितों की बस्ती में।* *आग लगी है पहलगाम की मस्ती में।* जनता को भेजा है नया संदेशा क्यों ? आतंकी तो दोनों हैं फिर ऐसा क्यों ? *जब मन चाहा चाहे जिस पर चढ़ते हैं।* *अपनी एक अलग परिभाषा गढ़ते हैं।* नीति दोगली अलग दिशा दिखलाती है। हर घटना कुछ न कुछ तो सिखलाती है। *इनके ऐसे भाषण सुन सब ऊब गये।* *मोक्ष मिली जो महा कुम्भ में डूब गये।* ये मुद्दों से ध्यान हटाते रहते हैं। जनसंख्या हर रोज घटाते रहते हैं। *उनकी सुख सुविधाओं पर आँच नहीं।* *पोल खुलेगी इससे होती जाँच नहीं।* एक हुआ चुप और दूसरा बोल रहा। घटनाओं के सारे पत्ते खोल रहा। *तोहमत मढ़ते हैं औरों के ठौरों पर।* *वे तो खिसक गये हैं अपने दौरों पर।* उनको नौ मन तेल यहाँ फैलाना है। उनको तो राधा को अभी नचाना है। *ये तो पहले वाला ही व्यापारी है।* *मिथकों का संसार अभी भी जारी है।* वे अपनी पूरी ताकत से आये हैं। पर अन्दर ही अन्दर से घबराये हैं। *जनता भी अब उनके साथ नहीं होगी।* *उन्हें भागना ही होगा बन कर जोगी।* अभी उन्हें कुछ तो दामाद बनाना है। दलितों को पिछडों को मूरख जाना है। *चमचे भी तो अजब गजब तैयार क...

झूठ पर ही टिका~~~~* *~~~~उनका हर काम है

  *~~~~झूठ पर ही टिका~~~~* *~~~~उनका हर काम है~~~~* *झूठ का दौर कितना भी लम्बा चले,* *सच के आगे कोई जोर चलता नहीं।* *उनके सूरज भी ढल कर बिखर ही गये,* *जिनके शासन में सूरज भी ढलता नही।* खण्डहर ही पड़े हैं महल हर जगह,  छोड़ कर के सभी दूर जाते रहे। जो खड़े हैं निगाहों की दालान में,  एक गुजरी कहानी सुनाते रहे। *हर जगह के अलग ही खयालात थे,* *किस तरह से कई झूठ बोले गये ?* *बस कहानी में लिपटे नजर आ रहे,* *भेद जो भी रहे खूब खोले गये।* जिनके श्रम ने सिकन्दर बनाया उन्हें,  दास्तानों में उनका नहीं नाम है। देख लो हर जगह आज क्या चल रहा,  झूठ पर ही टिका उनका हर काम है। *कोई कुछ कह रहा कोई कुछ सुन रहा,* *ध्यान भटका हुआ है सभी का यहाँ।* *बेजुबाँ भीड़ को बोलना ही नहीं,* *प्राण अटका हुआ है सभी का यहाँ।* घर बचाने को अपना लगे हैं सभी,  हम भी देखेंगे घर उनका जलता नहीं। कितने मायूस हैं इस बियाबान में,  इस कदर तो कोई हाथ मलता नहीं। *झूठ का दौर कितना भी लम्बा चले,* *सच के आगे कोई जोर चलता नहीं।* *उनके सूरज भी ढल कर बिखर ही गये,* *जिनके शासन में सूरज भी ढलता नही।* *मदन लाल अनंग* द...

चलो युद्ध की ओर

             *चलो युद्ध की ओर*          हम जब शारीरिक गुलाम होते हैं तो हमें ज्यादा कष्ट नहीं होता है। हम श्रम करते हैं भले ही किसी के लिये हो या किसी का भी हो। मगर उससे हम अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। सुखद नींद प्राप्त होती है। सत्य का बोध हम नहीं जानते हैं क्योंकि हम शिक्षित नहीं हैं। शारीरिक श्रम करना ही हमारा प्रारब्ध है। हमारी सोच वहीं तक सीमित है, हम और हमारा परिवार।        हम जब मानसिक गुलाम होते हैं तब हमें अत्यंत कष्ट होता है कि हमारे सामने वाला सभी सुख साधनों अर्थात सारी भौतिक सुविधाओं का उपभोग कर रहा है और हम शिक्षित होते हुये भी उन सुख सुविधाओं का उपभोग नहीं ‌कर पाते हैं क्योंकि हमारा मनोबल गिरा हुआ है। हम शिक्षित अवश्य हो गये हैं मगर समझदार नहीं हो पाये हैं। हम शिक्षित होकर विद्वान तो बन सकते हैं लेकिन बुद्धिमान नहीं। हम हमेशा धन की कमी महसूस करते हैं क्योंकि हमारे मन में प्रतिस्पर्धा का भाव रहता है। हम सारा कुछ अपने लिये समेटना चाहते हैं। इस स्थिति में हमारे मन में *अन्तर्द्वद्व* क...

पचीपुरा गांव में सामाजिक परिवर्तन की नई पहल: कर्मकांड नहीं, समाज सेवा को प्राथमिकता

  पचीपुरा गांव में सामाजिक परिवर्तन की नई पहल: कर्मकांड नहीं, समाज सेवा को प्राथमिकता जालौन जिले के पचीपुरा गांव में एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल देखने को मिली है। जहां OBC समाज के लोगों ने सैकड़ों वर्षों पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं को तिलांजलि दी। नवनीत पटेल ने अपनी मां के निधन के बाद पारंपरिक धार्मिक कर्मकांडों, भोज और अंधविश्वासों से हटकर समाज कल्याण के कार्यों के माध्यम से श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया। यह कदम न केवल एक व्यक्तिगत निर्णय था, बल्कि एक व्यापक सामाजिक संदेश भी था — कि श्रद्धा और संवेदना का वास्तविक मूल्य समाज सेवा में निहित है, न कि दिखावटी अनुष्ठानों में। पारंपरिक अपेक्षाओं के विपरीत, न कोई त्रयोदशी भोज आयोजित किया गया, न पंडितों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान। इसके स्थान पर, नवनीत पटेल और उनकी टीम ने गांव के बच्चों को स्टेशनरी वितरित की, विद्यालयों को इन्वर्टर और फ्रीजर दान किए, सार्वजनिक जल-शीतलन संयंत्र (वाटर कूलर) स्थापित किया और नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कराया। नवनीत पटेल बताते हैं कि इस निर्णय के दौरान उन्हें सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ा। परंतु उन्होंने स्प...

महाबोधि महाविहार मुक्ति आन्दोलन बौद्ध भिक्षुओं और उपासकों की ओर से स्वयंभू चल रहा है।

महाबोधि महाविहार मुक्ति आन्दोलन बौद्ध भिक्षुओं और उपासकों की ओर से स्वयंभू चल रहा है। आकाश लामा जी और उनके साथी महाबोधि महाविहार मुक्त करवाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं।  सभी आंदोलनकारी बौद्धों का एक ही मांग है कि महाबोधि महाविहार बोधगया का संचालन एवं प्रबंधन बौद्धों का होना चाहिए।   अनागारिक धम्मपाल से शुरु हुए आंदोलन की चिनगारी आज भी बौद्धों में मौजूद है। भदन्त नागार्जुन ससाई सुरी के नेतृत्व में भी आंदोलन चला, आंशिक सफलता मिली लेकिन महाबोधि महाविहार मुक्ति नहीं हुआ, आज भी मनुवादीओं के कब्जे में है।  यह हकीकत सब जानते हैं। यह भी हकीकत की सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं 12- 13 साल से लंबित है, कोई सुनवाई नहीं हुई। आगे होने की संभावना कम है। जब न्यायालय में न्याय पाना मुश्किल होता है तब नागरिकों को सड़क पर उतरना पड़ता है, यही हो रहा है, यह लोकतांत्रिक तरीका है। आकाश लामा जी और उनके साथीओं ने आंदोलन शुरू किया है, बिल्कुल सही है। इस आंदोलन को सभी बौद्धों का समर्थन है, ऐसा कहे तो ग़लत नहीं होगा। आकाश लामा ने चंदा बटोर ने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। लोग स्वयं दान देते...

उत्तर प्रदेश में ठाकुरों का आतंक अब इंसानियत को कुचलने पर आमादा है प्रयागराज में ठाकुरों द्वारा दलित को जिन्दा जला देने के बाद अब ताज़ा मामला बुलंदशहर का रूह कंपा देने वाला है

  उत्तर प्रदेश में ठाकुरों का आतंक अब इंसानियत को कुचलने पर आमादा है प्रयागराज में ठाकुरों द्वारा दलित को जिन्दा जला देने के बाद अब ताज़ा मामला बुलंदशहर का रूह कंपा देने वाला है चार दलितों को सिर्फ़ इसलिए थार गाड़ी से रौंद दिया गया क्योंकि वो “नीची जाति” से थे यूपी में सामंतवाद का नंगा नाच चल रहा है मुख्यमंत्री के स्वजातीय गुंडों ने दलितों को थार से कुचलकर मार डाला! योगी आदित्यनाथ के स्वजातीय गुंडे गाड़ी को बार-बार आगे-पीछे करके कुचलते रहे, जैसे इंसानों को नहीं, मिट्टी को रौंद रहे हों इस बर्बर हमले में एक दलित महिला की दर्दनाक मौत हो गई और तीन लोग ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि ये कोई सड़क हादसा नहीं ये साफ़-साफ़ जातिवादी नरसंहार की कोशिश है ये सब हो रहा है उस प्रदेश में, जहां सत्ता की बागडोर एक ठाकुर मुख्यमंत्री के हाथ में है जिसे अपने ठाकुर जाति पर नाज है उत्तर प्रदेश में दलित, पिछड़े, आदिवासी व अल्पसंख्यक होना अब गुनाह है, जिसे अब दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया है, सवर्ण और ठाकुर होना लाइसेंस है कुचलने का, मारने का, राज करने का...