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मई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इक्कीस बार क्या हो पाया~~~* *~~~इसका भी उनको ध्यान रहे

*~~~इक्कीस बार क्या हो पाया~~~* *~~~इसका भी उनको ध्यान रहे~~* *दिग्भ्रमित किया है लोगों को, कुछ छोरों और जवानों को।* *जब सारा आलम डूब गया, अब आग लगे अरमानों को।* हम सोच रहे थे नई फ़सल, भारत भर में लहरायेगी। था नहीं पता नादान बहुत, ये मिथकों में भहरायेगी। *भेड़ों की चाल देख ली है, आगे वालों की अनुगामी।* *है सोच न पीछे वालों में, वे देख सके न कुछ खामी।* आचरण उजड्डों जैसे हैं, है पड़ा अकल पर ताला ही। अज्ञान भरा है नस नस में, होगा अन्दाज निराला ही। *जो तोड़ रहे हैं शब्दों को, जो बदल रहे हैं परिभाषा।* *उनके मन की हालत जानो, बदहाल हुयी उनकी भाषा।* तू तू मैं मैं हर ओर यहाँ, तूफान उठा है बातों में। सब चक्रवात में उलझे हैं, कंट्रोल नहीं जज्बातों में। *सरकार निकम्मी ही समझो, हालत उसकी बेदीन हुयी।* *पहले चाहे जैसी भी हो, अब बिगड़ी हुयी मशीन हुयी।* ऐसा ही जाल बिछाया है, जिसका है कोई अन्त नहीं। वैरागिन संध्या सिमट रही, जैसे हो उसका कन्त नहीं। *तलवार म्यान से बाहर है, पर हुनर नहीं रखने का है।* *कुछ परशुराम ने चखा दिया, अब और मजा चखने का है।* था धनुष वही टंकार वही, पर युद्ध रुका होते होते। थी शक्ल बड़ी पर ...

पूर्णकालिक षड्यंत्रकारी* *बनाम सामाजिक कलंक

         *पूर्णकालिक षड्यंत्रकारी*        *बनाम सामाजिक कलंक*   (भाग-1)       इतिहास को नये तरह से लिखने की बात चल रही है जिसमें पुनः झूठ परोस कर समाज को गुमराह करने का प्रयास किया जायेगा।* कायरों को वीर और बहादुर की उपाधियों से नवाजा जायेगा जिससे आने वाली पीढ़ी मौसम को देख कर गिरगिट की तरह अपना रंग बदलती रहे। *हम वर्तमान पीढ़ी को गिरगिट की श्रेणी में डालना उचित नहीं समझते हैं।*      ये उपरोक्त बातें मैं उन ब्राह्मणों के लिये लिख रहा हूँ जो अपने ही अन्तर्विरोध में उलझे हुये हैं और अपनी ऊँच नीच की भावना को पुष्पित व पल्लवित कर रहे हैं। *क्षत्रियों और वैश्यों की बात करना तो फिजूल में समय बरबाद करना है। क्योंकि उनका इतिहास में कहीं पर भी स्वतंत्र अस्तित्व नजर नहीं आता है।*       वे ब्राह्मणों के द्वारा संचालित यंत्र (गुलाम) होने के अलावा और कुछ भी नजर नहीं आते हैं। *वे केवल ब्राह्मणों के उकसाने पर ही क्रियाशील  होते हैं और उपयोग कर के (use & throw) उन्हें भी फेंक देने की श्रेणी...

यह बिल्कुल स्पष्ट होता जा रहा है कि वर्तमान शासन व्यवस्था ने बहुसंख्यक बहुजन समाज के अधिकारों और आकांक्षाओं को योजनाबद्ध ढंग से हाशिये पर धकेल दिया है।

  यह बिल्कुल स्पष्ट होता जा रहा है कि वर्तमान शासन व्यवस्था ने बहुसंख्यक बहुजन समाज के अधिकारों और आकांक्षाओं को योजनाबद्ध ढंग से हाशिये पर धकेल दिया है। शासन की प्राथमिकताएँ अब लोकतांत्रिक नहीं रहीं — वे जातिगत और वर्गगत विशेषाधिकारों के इर्द-गिर्द केंद्रित हो चुकी हैं। सत्ता की संरचना आज फिर उसी सामंती और औपनिवेशिक मानसिकता का रूप ले चुकी है, जहाँ बहुजन समाज को एक ‘नियंत्रित प्रजा’ के रूप में देखा जाता है — जिसे केवल वोटबैंक और भीड़ बनाकर इस्तेमाल किया जाए, मगर निर्णय की प्रक्रिया और नीति निर्माण से दूर रखा जाए। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब यह शासन व्यवस्था चुनाव प्रक्रिया तक को अपने नियंत्रण में लेने के हथकंडे सीख चुकी है। ऐसे में यह सवाल बेहद मौजूं है — क्या भारत फिर से एक नई परतंत्रता की ओर बढ़ रहा है? यह समय आत्ममंथन का नहीं, जनचेतना के नवजागरण का है। यदि बहुजन समाज इस अन्याय को सिर्फ देखने और सहने तक सीमित रहा, तो यह गुलामी स्थायी रूप ले सकती है। अब वक्त है — संगठित होने का, सवाल उठाने का, और एक नई वैकल्पिक राजनीतिक चेतना के निर्माण का।

दीक्षाभूमी स्तूप… बारीश के पानी से भर न जाए*

  *दीक्षाभूमी स्तूप… बारीश के पानी से भर न जाए*  दीक्षाभूमीपर स्तूप का निर्माण अंदाजन १९७८ के आसपास शुरू हुआ था. उस वक्त दीक्षाभूमीके जमीन का स्तर Ground Level और दीक्षाभूमीके आसपास दक्षिण दिशाके लक्ष्मीनगर और उत्तर दिशाके काचीपुरा रामदासपेठ इन बस्तियों के जमीन का स्तर Ground Level बहुत कम / निचे था. माटे चौक से दीक्षाभूमीकी ओर आनेवाले रास्ते की उचाई क्रमबद्ध बढाई गई है. निरी से दीक्षाभूमीकी ओर आनेवाले रास्ते की उचाई क्रमबद्ध बढाई गई है. वर्धा रोड से दीक्षाभूमीकी ओर आनेवाले रास्ते की उचाई क्रमबद्ध बढाई गई है. यह तीनों रास्तोंको लगकर पुराने मकान, बंगले इनके मुल जमीन के स्तर Ground Level का निरीक्षण करने के बाद पता चलता है की दीक्षाभूमीके दक्षिण दिशा का रास्ता कितना फिट अधिक उपर उंचा उठाया है. अण्णाभाऊ साठे चौक का जमीन का स्तर Ground Level सबसे अधिक किया गया है. *रास्ते की उचाई इसप्रकार बढाना क्या यह सहज हुआ है. या इसके पिछे कोई नियोजनबद्धता थी. या रास्ते बांधकाम विभाग के अभियंताओं के Non application of Mind से यह सब हुआ है. या कोई अन्य कारण है.* *रास्ते उंचा करने से दीक्षाभूमीक...

महाबोधी सोसायटी स्थापना दिवस

  *✨--30 मे 1891--✨*  *महाबोधी सोसायटी स्थापना दिवस* एक २१ वर्षांचा सिंहली बौद्ध तरुण भ.बुद्धांचा देश पाहायला भारतात येतो. ज्या ठिकाणी सिद्धार्थाला "बुद्धतत्व" प्राप्त झाले, त्या ठिकाणाला या तरुणाला नतमस्तक व्हायचे असते. मात्र येथील चित्र अतिशय विदारक असते. संपूर्ण महाबोधी महाविहाराचा ताबा एका महंताने घेतलेला असतो. या तरुणाला तो महंत महाविहारात बुद्धरुप ठेवू देत नाही की बुद्धपुजा म्हणू देत नाही, त्याला लाठ्या काठ्यांनी मारतो, रक्तबंबाळ करतो, जीवे मारण्याची धमकी देतो... तो तरुण तेथेच भ.बुद्धांच्या "वज्रासन" कडे जातो, वंदन करतो आणि निश्चय करतो की "महाबोधी महाविहार हे संपूर्णपणे बौद्धांच्या ताब्यात देण्यासाठी मी आयुष्याच्या शेवटच्या श्वासापर्यंत प्रयत्न करीन".  हा तरुण आपले घर दार, राष्ट्र सोडून बौद्धांच्या हक्कासाठी भारतात येतो आणि लढा देतो....न्यायिक लढा देण्यासाठी एक संस्था स्थापन करतो - द महाबोधी सोसायटी अर्थात The Mahabodhi Society. या संस्थेचे महत्त्वाचे उद्धिष्ट असते - महाबोधी महाविहार बौद्धांच्या ताब्यात मिळवून देणे....ती तारीख असते ३० मे १८९१... म्हण...

चुप्पी: सामाजिक न्याय की ताक़तवर शत्रु अन्याय के विरुद्ध चुप रहना, अन्याय को समर्थन देने जैसा है।

  चुप्पी: सामाजिक न्याय की ताक़तवर शत्रु अन्याय के विरुद्ध चुप रहना, अन्याय को समर्थन देने जैसा है। यह कथन केवल नैतिक चेतावनी नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का मूल मंत्र है। जब हम सामाजिक न्याय की बात करते हैं—अर्थात एक ऐसी व्यवस्था जहाँ जाति, लिंग, धर्म, वर्ग या किसी भी पहचान के आधार पर भेदभाव न हो—तो सबसे पहली शर्त होती है: सच बोलने का साहस। लेकिन अफसोस की बात यह है कि हमारे समाज में चुप्पी एक संस्कार की तरह विकसित कर दी गई है — और यही चुप्पी सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी और सबसे ताक़तवर शत्रु बन चुकी है। चुप्पी किसकी, किसके लिए और क्यों? चुप्पी केवल शब्दों की अनुपस्थिति नहीं है, यह सत्ता और अन्याय को मौन समर्थन है। जब कोई दलित बच्चा स्कूल में अपमानित होता है और हम “शांति बनाए रखने” के नाम पर चुप रहते हैं, तो यह चुप्पी शोषण को वैधता देती है। जब कोई महिला workplace पर उत्पीड़न झेलती है और उसके सहकर्मी “परेशानी में न पड़ने” के लिए आँखें फेर लेते हैं, तब चुप्पी यौन हिंसा की सहयोगी बन जाती है। इस चुप्पी का चरित्र बहुआयामी है:  * कुछ चुप्पी डर की उपज होती है, * कुछ सुविधा और मौन स्वीक...

हमें आरक्षण को सही तरीके से लागू करना पड़ेगा

  हमें आरक्षण को सही तरीके से लागू करना पड़ेगा । दलित, पिछड़े ओर मुसलमान जहां आज होने चाहिए थे वहां आज तक नहीं पहुंचे क्यों कि आरक्षण लागू करने वालों ने हमारे साथ पक्षपात और जातिगत  ओर धार्मिक आधार पर भेदभाव किया ।  अब हमको दलित , पिछड़े ओर मुस्लिमो को उनकी संख्या के अनुसार ईमानदारी से आरक्षण और उनका हिस्सा देश के हर संसाधन में देना होगा ।तभी ये अमीरी गरीबी और गैर बराबरी की खाई कम हो सकेगी। आज सरकार की तरफ से दलितों को आधी रोटी प्रति व्यक्ति मिल रही है , पिछड़ों को तो आधी से भी कम रोटी प्रति व्यक्ति मिल रही है और मुसलमान को तो सरकार की तरफ कोई रोटी मिल ही नहीं रही है। पता नहीं किन हालत में जैसे तेसे ये लोग अपना जीवन बचाए हुए है । दूसरी तरफ ब्राह्मण बनिया और राजपूत को चार रोटी प्रति व्यक्ति मिल रही है।ओर ब्राह्मण तो अपने साथियों राजपूत ओर बनिया से भी रोटी छीन कर १२ रोटी प्रति व्यक्ति खा रहा है।बल्कि उसके तो पशु भी मनुष्यों से छीनी हुई रोटी खा रहे हैं । ऐसे में ब्राह्मण ओर अन्य का मुकाबला कैसे हो सकता है और उस पर भी नियुक्ति में ब्राह्मण द्वारा बेइमानी की जाती है । इस तरह १...

Modi. --- हुक्म रान तानाशाही और हिटलर साही हो

  हम लोग क्या कर सकते हैं चंदा दे सकते हैं आंदोलन कर सकते हैं धरने पर बैठ सकते हैं कितना चंदा देंगे कितना आंदोलन करेंगे कितने दिन धरने पर बैठेंगे जब देश का हुक्म रान तानाशाही और हिटलर साही हो  राज हमारा कानून भी हमारा जनता से कोई सरोकार नहीं हमारे लोगों ने ही तो ऐसे लोगों को सत्ता की चाबी होती है आप महाराष्ट्र में देखिए सबसे ज्यादा बुद्धिस्ट है लेकिन सभी के सभी बीजेपी के चाटुकारिता कर रहे हैं बिहार में तथागत बुद्ध की ज्ञानस्थली है जहां पर उन्होंने उपदेश दिया क्या वह लोग बुद्ध को जानते हैं जानते होते तो नीतीश कुमार की सरकार कभी नहीं बनती

दोस्तो पिछले कई सालों से राजस्थान में जमीनी कब्जे करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिये गए है

  दोस्तो पिछले कई सालों से राजस्थान में जमीनी कब्जे करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिये गए है उसके बावजूद भी दलित समाज के लोग अपनी जमीन को बाटे पर दे रहे हैं ऐसे में आपकी जमीन पर कब्जा नहीं होगा तो क्या होगा, पिछले 50 सालों से ऐसा ही होता आ रहा है ओर ये सिलशिला ऐसे ही चलता रहेगा,ओर बाद में आपके मरने के बाद यही कब्जा धारी बता देंगे कि हमने तो तुम्हारे बड़े बूढ़ों से जमीन खरीदी थी ओर फिर एक 50 रुपए के स्टैंप पेपर पर नकली सिग्नेचर करके कोर्ट में कब्जे का केश डाल देते है ओर फिर लड़ते रहो 20-25 साल तक केश, ओर फिर आप भी मर जाओगे और आपकी जमीन बिना बेचे ही कब्जा धारियों कि हो जायेगी, दोस्त अभी भी समय है जागो और अपनी अपनी जमीन को खुद ही रखवाली करे और किसी दबंग समाज के लोगों को बाटे पर नहीं दे, बाकी आपकी मर्जी  बैरवा क्रांतिकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौरी शंकर बैरवा एडवोकेट 

सत्ता उनके हाथ~~~~* *~~ छिछोरे बने हुये सबके दादा

*~~~~सत्ता उनके हाथ~~~~* *~~ छिछोरे बने हुये सबके दादा~~* *घुटने मोड़ के सोना सीखो, पाँव पसारो मत ज्यादा।* *आँख खोल कर सोने वालो, कहाँ निभाओगे वादा ?* बिजली की तुम खपत करो कम, तुमसे ही सब टिका हुआ। पानी भी बरबाद करो मत, देख रहे हो बिका हुआ। *वे बिजली बरबाद करें, या जल फैलायें नाली में।* *ध्यान कहाँ देता है कोई, बिना हुनर के माली में।* उनके महलों में बिजली भी, रात रात भर जलती है। स्वीमिंग पूलों में पानी की, क्या मनमानी चलती है ? *तुम्हीं धर्म की रीढ़ बने हो, तुम्हीं अन्धविश्वासी हो।* *तुमसे जो व्यवहार हो रहा, जैसे यहाँ प्रवासी हो।* कितने भावुक लोग हुये जब, बदला घर का माली भी। सब्सिडी का छोड़ सिलिंडर, भरा हुआ है खाली भी। *पर वे अपनी सुविधाओं को, बढ़ा चढ़ा कर खेल करें।* *अन्ध भक्त इतने भोंपू हैं, वे ही सबको फेल करें।* नहीं कहीं पर युद्ध छिड़ा है,  पर वे तो भड़काते हैं। सच को झूठ बनाने वाले, कुण्डी भी खड़काते हैं। *मरते हरदम आम लोग ही, ये बस झूठ चलाते हैं।* *जो झाँसे में नहीं आ रहे, आतंकी कहलाते हैं।* इतने लोग मरे यदि उनसे, काम नहीं चल पायेगा। कुछ अनहोनी कर के फिर, माहौल बनाया जायेगा। *सक्रिय ...

जातियों का संक्रमण

*~~~~जातियों का संक्रमण~~~~*        *क्या हम वर्तमान में कोई ऐसा शब्द खोज सकते हैं जिससे समस्त मूलनिवासियों को सम्बोधित किया जा सके ?* वैसे तो मूल निवासी शब्द ही पर्याप्त है लेकिन सारे लोग इसको आत्मसात नहीं कर पा रहे हैं। बहुत सारे लोग बहुजन में अटके हुये हैं और इन सबसे इतर बहुत सारे लोग अपनी जातियों में भटके हुये हैं। *जब तक इस देश में मूल समाज के लोगों में आपसी रोटी बेटी का सम्बन्ध स्थापित नहीं हो जाता तब तक हम सही दिशा का निर्धारण नहीं कर सकते हैं।* वैसे इस तरह का प्रयास पहले भी हो चुका है लेकिन शिक्षा अपने हाथ में न होने के कारण उस पर धूल मिट्टी डाल कर समाप्त कर दिया गया है। *सम्भवतः दक्षिण भारत में भी ऐसे प्रयास हुये होंगे लेकिन उन्हें भी जातियों के दायरे में समेंट दिया गया है।*       *दक्षिण भारत के महान क्रान्तिकारी और समाज सुधारक पेरियार ई.वी. रामा स्वामी नायकर का आन्दोलन केवल अपनी जाति के लोगों तक ही सीमित नहीं था। बल्कि उन्होंने झूठ पर आधारित अन्याय पूर्ण व्यवस्था और अन्याय का विरोध किया था।* लेकिन हम भी उन्हें जाति के ही चश्में से देखते...

इमस्मिं सति इदं होति, इमस्मिं असति इदं न होति

  🌻धम्म प्रभात🌻 "इमस्मिं सति इदं होति, इमस्मिं असति इदं न होति।" अर्थात- इस कारण के होने से यह परिणाम होगा। इस कारण के नहीं होने से यह परिणाम नहीं होगा। कौन से कारण? चित्त पर तृष्णा जन्य विकार होंगे तो दु:ख होगा। चित्त तृष्णा रहित होगा तो दु:ख अपने आप दूर हो जायेगा।  यह प्रकृति है, यह नियम है। तृष्णा से भवचक्र चलता है। तृष्णा निरूद्ध हो गई तो धम्मचक्र चलता है। कोई बुद्ध इन नियमों को बनाते नहीं। कोई बुद्ध इनमें परिवर्तन करते नहीं। कर भी नहीं सकते। बुद्ध हुए माने प्रकृति के सनातन नियमों को प्रत्यक्ष अनुभूति द्वारा जान गए और जान कर स्वयं विकार विमुक्त हो गए। ऐसे व्यक्ति कोई भी हो, यही सिखाएंगे कि शील, समाधि, प्रज्ञा द्वारा दु:खसमुदय के कारणों-राग, द्वेष आदि को नष्ट कर दो और दु:खविमुक्ति की अवस्था का साक्षात्कार कर लो। तथागत गौतम बुद्ध ने यही शील, समाधि और प्रज्ञा ही सिखाया। गौतम बुद्ध के पहले २७ बुद्ध हुए थे,उन सभी ने यह धम्म सिखाया। इति सीलं, इति समाधि, इति पञ्ञा । यह शील है, यह समाधि है, यह प्रज्ञा है। एस धम्मो सनन्तनो-  यह सनातन धम्म है। नमो बुद्धाय🙏🏻🙏🏻🙏🏻

*बौद्ध रीति से गर्भवती मंगल संस्कार संपन्न*

  *राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद*                       *के*            *केंद्रीय सचिवालय,*                        *में* *बौद्ध रीति से गर्भवती मंगल संस्कार संपन्न* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया एवं बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के कार्यालय सचिव आयुष्मान एस. के.गौतम एवं आयुष्मति डॉ.श्वेता सिंह (C.H.O.) पुत्र एवं पुत्रवधू (अभय रत्न बौद्ध)  का "गर्भवती मंगल संस्कार एवं मैत्री भोज" का अयोजन "राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद" के केंद्रीय सचिवालय - बुद्ध कुटीर,284/ सी-1, स्ट्रीट नंबर -8, नेहरू नगर, नई दिल्ली-110008 पर श्रध्देय भिक्खु वप्प थेरो जी के सानिध्य में किया गया।           पूज्य भिक्खु वप्प थेरो जी ने इस अवसर पर दीप प्रज्वलित करवाकर तथागत भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके बुद्ध वंदना, त्रिशरण, पंचशील आयोजन में आए सभी उपासक- उपासिकांओं को प्रदान किया और नवदंपत्त...

BSP. -- मायावती के मायाजाल से सावधान

  ✊🏻कड़वा सच ✊🏻 👍🏻मायावती के मायाजाल से सावधान 🤝 👉🏻1993 में बसपा के 67 विधायकों के समर्थन से सपा की मुलायम सरकार के समय ही मायावती ने जून 1994  में बसपा के दो फाड़ कर दिये ! पार्टी के दो फाड़ होने से मा. कांशीराम जी  ने बचाया ! पढ़ें माया पत्रिका जुलाई 1994  👉🏻मायावती ने 2-6-1995 को भाजपा के कलराज मिश्र ,लालजी टंडन से बात कर बसपा सपा गठबंधन तोड़ दिया ,जिससे मीराबाई गैस्ट हाउस लखनऊ में सपा के विधायक रमाकांत यादव और उमाकांत यादव ने मायावती पर प्राणघातक हमला किया ,जिसमें वे बच गईं और 3-6-1995 को भाजपा के सहयोग से मायावती सी एम बन गईं ! इस तरह इन्होंने कांशीराम साहब को धोखा देकर भाजपा के सहयोग से सरकार बनाई ! पढ़ें किताब आयरन लेडी  👉🏻1996 में बसपा की रैली में लालकृष्ण अाडवानी  को अचानक मंच पर मायावती लाई ! 👉🏻15-9-2003 को मा. कांशीराम जी को बीमारी के नाम पर लगातार 3 साल तक आर एस  एस के डा. बत्रा हास्पीटल में कैद करके रखा ! तीन साल बाद 9-10-2006 को साहब कांशीराम जी की डैडबॉडी बाहर आई ! इस हास्पीटल का उद्घाटन लालकृष्ण आडवानी ने किया ! 👉🏻25-8-20...

अजब है लंगर की सरकार

  *~~~अजब है लंगर की सरकार~~* *लंगर ने सारा जग देखा, मिला न पालन हार।* *अजब है लंगर की सरकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* गुरु ने अमृत पान कराया, सबको गले लगाया। दुनिया में जो भी आया है, कोई नहीं पराया। *इसीलिये सब पर पड़ती है, खुशबू की बौछार।* *अजब है लंगर की सरकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* जिन्हें नसीब नहीं, घोड़ी पर उनको खूब चढ़ाया। पगड़ी बाँधी और शान से, खुले आम दौड़ाया। *कमर बँधी है खुखरी जिनके, करती है टंकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* जिन मूँछों पर कत्ल हुये हैं, वे मूँछैं बढ़वा दीं। धागा तोड़ कड़ा पहनाया, बाँहें भी चढ़वा दीं। *जगह जगह पर पड़ी सुनायी, फिर उनकी ललकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* वर्ण व्यवस्था वालों ने, फिर अपना जाल बिछाया। बने वहाँ भी सिक्ख और, अपना परचम लहराया। *लंगर से ही भेदभाव की, गिरी मिली दीवार।* *अजब है लंगर की सरकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* अलग थलग हैं गुरु के द्वारे, करें ग्रंथ की पूजा। पालनहार एक है उनका, और न कोई दूजा। *ये घुसपैठ सभी धर्मों की, करती बण्टाढार।* *अजब है लंगर की सरकार।* *अजब है लंगर की सरकार।* जैसे ढोल द...

नौजवान पीढ़ी के* *निर्माण में बाधक तत्व

         *नौजवान पीढ़ी के*         *निर्माण में बाधक तत्व*      *आज के जमाने में यदि आप किसी तवायफ़ के कोठे से निकल कर आ रहे हैं तो देखने वाले आपके प्रति किस तरह की धारणा बनायेंगे ?* अथवा विजली विभाग का मीटर रीडर किसी रेड लाइट एरिया से मीटर की रीडिंग ले कर आ रहा हो तो दोनों घटनाओं पर आपकी या किसी भी देखने वाले की सोच अविकसित होगी, अच्छी नहीं होगी। वर्तमान में लगभग सभी लोग आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस नजर आ रहे हैं। सबके हाथ में मोबाइल अवश्य होगा, इंटरनेट भी काम कर रहा होगा। भाषा में बदतमीजी भरपूर नजर आ रही है। *कुछ सामाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने अपने यहाँ गाली गलौज करने, बदतमीजी करने और धमकी देने के परम्परागत विभाग खोल रखे हैं।* परम्परागत इसलिए कि पहले जमींदारों और जागीरदारों के यहाँ जो कारिन्दे रखे जाते थे उनकी भाषा लगभग ऐसी ही होती थी। *इसलिए सेल में बैठे लोग भले ही बीटेक, एमटेक, एमबीए एवं पीएचडी किये बैठे हों और अपने आपको बहुत बड़ा तीरंदाज समझते हों मगर उनकी औकात एक गुलाम कारिन्दे से ज्यादा नहीं है।* वे फोन पर अपने आका...

अंग्रेजों ने भारत पर 𝟙𝟝𝟘 वर्षों तक राज किया ब्राह्मणों ने उनको भगाने के लिए हथियार बन्द आंदोलन क्यों चलाया ?

  *लेखक डॉ० हीरालाल यादव (पीएचडी इतिहास)*                *बधाई के पात्र है* आप सभी बहनों एवं भाइयों से अनुरोध है कि दो मिनट का टाइम निकाल कर ये *पोस्ट जरूर पढें:-*  *शूद्र* = *𝕆𝔹ℂ*   *अछूत* = *𝕊ℂ, 𝕊𝕋*  👉 *अंग्रेजों ने भारत पर 𝟙𝟝𝟘 वर्षों तक राज किया ब्राह्मणों ने उनको भगाने के लिए हथियार बन्द आंदोलन क्यों चलाया ?*   👉🏻 *जबकि भारत पर सबसे पहले हमला मुस्लिम शासक मीर कासिम ने 𝟟𝟙𝟚 ई. में किया !*  उसके बाद   *महमूद गजनबी,*   *मुहम्मद गौरी,*   *चंगेज खान* ने हमला किया और फिर               *कुतुबदीन ऐबक,*   *गुलाम वंश,*   *तुगलक वंश,*   *खिल्जी वंश,*   *लोदी वंश*  फिर *मुगल* शासक  👉🏻 *ये मुसलमान नहीं थे, मुग़ल एक रेस या वंश का नाम है* आदि वंशों ने भारत पर राज किया और खूब अत्याचार किये लेकिन ब्राह्मणों ने कोई क्रांति या आंदोलन नही चलाया !  *फिर अंग्रेजो के खिलाफ़ ही क्यो क्रांति कर दी...

निःशुल्क UPSC कोचिंग दिल्ली में. -- जामिया विश्वविद्यालय दिल्ली में SC/ST/अल्पसंख्यक एवम सभी वर्ग की प्रतिभावान महिला अभ्यर्थियों को निःशुल्क

  *💐💐निःशुल्क UPSC कोचिंग दिल्ली में* _💐💐यदि आप प्रतिभावान है और आईएएस आईपीएस अधिकारी बनना चाहते है तो गरीबी कोई अभिशाप नही है।_ 💐जी हाँ!!.... जामिया विश्वविद्यालय दिल्ली में SC/ST/अल्पसंख्यक एवम सभी वर्ग की प्रतिभावान महिला अभ्यर्थियों को निःशुल्क संघ लोक सेवा आयोग की उत्कृष्ट आवासीय कोचिंग उपलब्ध कराने हेतु एक प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। _प्रवेश परीक्षा में शामिल होने हेतु ऑनलाइन पंजीयन 05 जून तक प्रारंभ है।_ सम्पूर्ण जानकारी के लिए कृपया संदर्भित विज्ञापन का अध्ययन करें या वेबसाइट पर विजिट करें। 💐💐प्रवेश आवेदन प्रक्रिया,चयन मापदंड,निःशुल्क आवास,भोजन एवम छात्रवृत्ति सहित सभी सूचनाओ के लिए अपने क्षेत्र के नजदीकी *सेवा सारथी* से संपर्क करें। *💐💐ध्यान दीजिए:- इस संस्थान में अध्ययनरत अभ्यर्थी प्रतिवर्ष चयनित होते है।* _इसी तरह की सभी लेटेस्ट अप्डेट्स प्राप्त करने के लिए हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप की नीचे👇👇 दी गयी लिंक को फॉलो करें।_ *💐💐हम रखे आपको आगे...हमेशा👍👍*

रूढ़िवादी परम्पराओं को त्यागने में ही भलाई है।

  *रूढ़िवादी परम्पराओं को त्यागने में ही भलाई है।* हम अपने परिजनों का दाह संस्कार करने के बाद "राख" को पानी में डालकर, कहीं हम धर्म की आड़ में हिंसा तो नहीं कर रहे❓ प्रकृति में हर चीज को संतुलित बनाए रखने की अजीबोगरीब छमता होती है, हमें भी इस संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रयास करना चाहिए। यह सच है कि राख में मौजूद तत्व पानी में मिलकर हानिकारक प्रभाव डाल सकते, लेकिन जब यही तत्व पेड़-पौधों की जड़ों में पहुंचते हैं तो वे पौधों के लिए पोषक तत्व बन जाते हैं। यह प्रकृति की अद्भुत प्रक्रिया है, जहां एक ही पदार्थ विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग प्रभाव डाल सकता है। यह पौधों की अद्वितीय क्षमता को दर्शाता है जो हानिकारक पदार्थों को भी अपने विकास के लिए उपयोगी बना सकते हैं।