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मार्च, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुन्दरी' नाम की परिव्राजिका की हत्या' सांप्रदायिक द्वेष का परिणाम

  🌻धम्म प्रभात🌻  सुन्दरी' नाम की परिव्राजिका की हत्या' सांप्रदायिक द्वेष का परिणाम  स्थान: श्रावस्ती ( उत्तर प्रदेश ) "अग्गपूजितो  थोमितो , अग्गमानितो  वन्दितो ।अग्गभिवादितो  पुज्जो,     बुद्धं  तं पणमाम्यहं ।"             अर्थात - अग्रपूज्य , प्रशंसित , सम्मान किए जाने वालों में अग्रणी , वंदित , अभिवादन किए जाने वालों में अग्र - पूज्य,  उन  “बुद्ध” को   मैं  प्रणाम  करता हूं।  एक समय भगवान श्रावस्ती में अनाथपिण्डिक के जेतवन आराम में विहार करते थे ।  उस समय, लोग भगवान का बड़ा सत्कार ,आदर ,सम्मान कर रहे थे। पूजित और प्रतिष्ठित हो उन्हें चीवर, पिण्डपात, शयनासन, और ग्लान प्रत्यय बराबर प्राप्त होते थे।  लोग भिक्षु संघ का भी बड़ा सत्कार आदर ,सम्मान कर रहे थे। पूजित और प्रतिष्ठित हो उन्हें चीवर, पिण्डपात, शयनासन, और ग्लान प्रत्यय बराबर प्राप्त होते थे। किंतु, दूसरे मत के साधुओं को कोई सत्कार ,आदर , सम्मान नहीं करता था; उनकी पूजा-प्रतिष्ठा भी नहीं होती थी; उन्हें ...

सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*

  *~~~~~रुपया जितना गिरा~~~~~* *~~~~गिरेगी उतनी ही सरकार~~~* *सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।* ठोंक बजा कर ही निकले थे, ले कर अपना डण्डा। बीच रास्ते में टकराया, उनसे माहिर पण्डा। *धरी रह गयी सब चतुराई, हुआ है बंटाढार।* *सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।* चमचागीरी करने वाले ही, भडुए कहलाते। बिना वजह देखा है सबने, इनको गाल बजाते। *लहराते हैं यही हवा में, लकड़ी की तलवार।*  *सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।* फिर वामन का रूप धरे, ये धरती नाप रहे हैं। इर्द गिर्द हैं चोर सिपाही, थर थर काँप रहे हैं। *इज्जत पर बट्टा लगते ही, बनते रँगे सियार।* *सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।* उनकी बड़ी तमन्ना है, वे कस लें खूब शिकंजे। उनके ही शासन में देखो, बाल उगाते गंजे। *पिछडों की सौदेबाजी में, मिली हर जगह हार।* *सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।* कोरोना से बचे लोग जो, संगम खूब नहाये। जो विदेश में बसे हुये थे, लौटे मुँह लटकाये। *खाली डब्बा खाली बोतल, शेखी रहे बघार।* *सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।* हुआ खज...

बोधगया महाबोधी महाविहार मुक्ति आंदोलन"

  बोधगया महाबोधी बुद्ध विहार मुक्ति आंदोलन, लड़ाई, कहीं संवैधानिक न लड़कर भावनात्मक तो नहीं लड़ रहे हैंॽ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,विजय बौद्ध, ,,,,,,,,,,,,,,,,राष्ट्रीय महामंत्री विश्व बौद्ध संघ, पूर्व राष्ट्रीय सचिव, बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, बौद्ध धम्म संसद बोधगया, एवं संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल मध्य प्रदेश,,, ,,,,,,,भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहां सभी धर्मालंबियों को अपने-अपने धर्म को मानने एवं प्रचार प्रसार करने का संवैधानिक अधिकार है। भारत में हिंदू, मुस्लिम इस्लाम सिख इसाई जैन फारसी लिंगायत, बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं। हिंदुओं के मंदिर है। उसमें ब्राह्मण पंडित पुजारी होता है। मुसलमान के मस्जिद में मुसलमान मौलाना काजी होता है। गुरुद्वारा में सिख और गिरजाघर में ईसाई पादरी होता है। फिर भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली देश, दुनियां की पवित्र भूमि बोधगया, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उस स्थान पर सम्राट अशोक ने महाबोधी बुद्ध विहार बनाया था। उस महाबोधी बुद्ध विहार का नाम बोधगया टेंपल मंदिर क्यों हैॽ मंदिर तो हिंदू दे...

हमें उद्देश्यपूर्ण संवाद की ज़रूरत है.

  संरचित चर्चा की आवश्यकता:  हमें उद्देश्यपूर्ण संवाद की ज़रूरत है.  आज के समय में सोशल मीडिया और मैसेजिंग ग्रुप्स में विचारों का आदान-प्रदान आम हो गया है। ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करना और अपने विचार व्यक्त करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन जब चर्चाएं बिना किसी दिशा के होती हैं या सिर्फ भावनात्मक वीडियो और अपुष्ट सूचनाओं को शेयर करने तक सीमित रह जाती हैं, तो इससे किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है। 1. उद्देश्यपूर्ण चर्चा क्यों ज़रूरी है? सकारात्मक संवाद: जब किसी विशेष विषय पर चर्चा की जाती है, तो विचारों का आदान-प्रदान सार्थक होता है। इससे सभी पक्षों को अपनी बात रखने और दूसरों की बात सुनने का अवसर मिलता है। समस्या समाधान: फोकस्ड डिस्कशन से समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सकता है और उसके व्यावहारिक समाधान निकाले जा सकते हैं। समय और ऊर्जा की बचत: अनावश्यक बहस और विषयांतर से बचते हुए, सारगर्भित चर्चा के माध्यम से समय का सदुपयोग होता है। 2. एजेण्डा आधारित चर्चा की भूमिका ग्रुप में एजेण्डा आधारित चर्चा का होना बेहद आवश्यक है। इसका मतलब है ...

पार्टी सर्व धर्म समभाव में विश्वास करती है।

  *विजन डॉक्यूमेंट*   *बहुजन विकास पार्टी*  दोस्तों, बहुत वर्षों से देख रहे हैं कि हमारे बहुजन के नेता शुरुआत तो बाबा साहब के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए और बहुजन का भविष्य बनाने के लिए करते हैं, लेकिन  कुछ दिनों बाद ये सारे बहुजन को एकत्र करके, गुमराह करके किसी पार्टी से सेटिंग करके सारे वोटों का सौदा कर लेते हैं या अपनी शक्ति के घमंड में कोई ऐसा भ्रष्टाचार कर लेते हैं और उससे दो नंबर का पैसा कमा लेते हैं। फिर उसको बचाने के लिए सरकार से समझौता करते हैं और पूरे बहुजन वोटों को उस पार्टी को जीताने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कुछ नेता तो भोले-भाले युवकों को भड़काकर दंगे करवा देते हैं और बहुजन युवकों पर बहुत सारे मुकदमे लगवा देते हैं और बाद में उनकी ना तो पैरवी करते हैं और ना ही उनसे मिलने जाते हैं। वह बेचारे गरीब, लाचार बहुजन सजा काटकर ही जेल से बाहर आते हैं। अब आप बताइए कि ऐसी राजनीति का क्या लाभ मिला बहुजन को? केवल वह नेता हम बहुजनों की लाशों पर राजनीति करके अपना घर भर लेते हैं।  चंद्रशेखर जी ने उकसा कर और उत्पात मचाकर भारत में हजारों युवकों पर मुकदमे लगवा दिए लेकि...

पद पाने के लिये हमेशा~~ये ईमान बेंचते हैं

*~~~पद पाने के लिये हमेशा~~~* *~~~~~ये ईमान बेंचते हैं~~~~~* *ये श्रृंगार बेंचने वाले, लम्बी तान खेंचते हैं।* *पद पाने के लिये हमेशा, ये ईमान बेंचते हैं।* रार नहीं ठानी थी जिसने, उसे महा कवि बोल रहे। कितना काला धन पाया था, सारे पत्ते खोल रहे। *बहुत स्वघोषित हुये राष्ट्र कवि, ये उनमें अलबेले हैं।* *कुछ वक्तव्य दिये हैं ऐसे, अब पड़ गये झमेले हैं।* लगे ठहाके जब मिथकों की, जम कर के बौछार हुयी। श्रोता सारे उनके निकले, और नजर दो चार हुयी। *उनके ही प्रचार माध्यम ने, सिर पर उन्हें उठाया है।* *बिके हुये हर पत्रकार ने, क्या चेहरा चमकाया है ?* भाट हुआ करते थे पहले, राजा के दरवारों में। उसी राह पर चलकर देखा, लूटा मजा बहारों में। *वक्त जवानों और किसानों का, काफ़ी गहराया है।* *पर उनकी धुन में ही देखो, बस श्रृंगार सुहाया है।* वे दौलत को ओढ़ रहे हैं, और बिछावन करते हैं। सोचो ऐसे लोग देश को, कितना पावन करते हैं। *ब्राह्मणवाद छिपा बैठा था, शायद उनकी गोदी में।* *मौका मिला उछल कर आया, खेल हुआ आमोदी में।* मत देखो ये रंग रूप में, बड़े सुहाने लगते हैं। तुमको ही आधार बना कर, ये तुमको ही ठगते हैं। *तन को साफ किया ...

रामकिशोर गुज्जर ने अपनी छोटी बहन के अपहरण की रिपोर्ट लवण थाना दौसा में लिखवाई थी तब बहन सुमन गुज्जर ने भी अपने सगे जीजा व सगी बहन के खिलाफ रेप की शिकायत दिल्ली में 0/FIR के लिये शिकायत दी थी

  रामकिशोर गुज्जर ने अपनी छोटी बहन के अपहरण की रिपोर्ट लवण थाना दौसा में लिखवाई थी तब बहन सुमन गुज्जर ने भी अपने सगे जीजा व सगी बहन के खिलाफ रेप की शिकायत दिल्ली में 0/FIR के लिये शिकायत दी थी अब जब दोनों तरफ से राजीनामा हो गया तो जिला दौसा के लवण थाने के पुलिस वाले इस आपसी समझौते के बदले में मोटी रकम मांग रहे है जबकि अब दोनों पार्टी में समझौता हो गया तो दोनों तरफ के लोगों ने अपने अपने केश वापिस लेने के लिये थाना तहसील से गुजारिश करी है तथा केश वापिस लेने के लिये दोनों पार्टी को राजी किया गया,अब कोई किसी पर भविष्य में केश नहीं करेगा,जितना जल्दी केश हुआ उतना जल्दी दोनों पार्टी ने केश वापिस लिया, पर अब पुलिस वाले को ये समझौता पसंद नहीं आया और कहा कि बिना पुलिस में चंदा चढ़ाए ये समझौता नहीं माना जायेगा जबकि लड़की अब कोर्ट से समझौते के लिये पेस हो रही है जय भीम  बैरवा क्रांतिकारी संघठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौरी शंकर बैरवा एडवोकेट  9810107968

बहुजन समाज के नेता सदियों से चल रही अपनी मानसिक गुलामी से अभी विरत मुक्त नहीं हुए है।

   बहुजन समाज के नेता सदियों से चल रही अपनी मानसिक गुलामी से अभी विरत मुक्त नहीं हुए है। अभी भी उनके रगों में गुलामी का खून दौड़ रहा है। अकेले चंद्रशेखर की बात मत करिए,, काशीराम मायावती बहुजन समाज पार्टी ने तो गुलामी की हदें ही पार कर दी है। चंद्रशेखर से गिरिराज गले लग रहा है। मायावती तो ब्राह्मण लालजी टंडन को अपना भाई समझ कर राखी बांध रही थी। और बहुजन समाज पार्टी कांशीराम, ने जीवन भर आरएसएस भारतीय जनता पार्टी  ब्राह्मणों के साथ राजनीतिक समझौते कर सत्ता हथियाना की मंशा से मानसिक गुलामी का ही परिचय दिया है। यही कारण है कि आज बहुजन समाज जिसे दलित कहा जाता है उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जुल्म अन्याय अत्याचार शोषण बलात्कार के शिकार है। मैं किसी भी बहुजन नेता पर विश्वास नहीं कर सकता कि वह सच्चा अंबेडकरवादी होगा ॽ यदि सच्चा अंबेडकरवादी होते तो अलग-अलग राजनीतिक दल बनाकर अपनी अपनी राजनीति दुकान नहीं चलाते। डॉक्टर अंबेडकर के अनुरूप संगठित रहकर संघर्ष करते। जब संगति ही नहीं है। संगठित संघर्ष ही नहीं है तो सच्चे अंबेडकरवादी कैसे हो सकते हैं ॽ बहुजन समाज के नाम पर, बहुजन समाज पार्टी...

केरल में द्रविड़यन एम्प्लाइज नेटवर्क सम्मेलन

  *केरल में द्रविड़यन एम्प्लाइज नेटवर्क सम्मेलन*  *===========================*  बहुजन द्रविड़ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, *सरदार जीवन सिंह का चेतावनी आह्वान* ..... इस भूमि पर 2000 वर्षों से ब्राह्मण "*षड्यंत्र का खेल*" खेलते आ रहे हैं। इस खेल के कारण, बहुसंख्यक लोग (SC/ST/OBC) 2000 वर्षों से गुलाम बने हुए हैं। यदि आप इस " *षड्यंत्र के खेल*" से नहीं बचेंगे, तो आप कभी भी खुद को मुक्त नहीं कर पाएंगे। इस खेल से बचने के लिए, 500 वर्ष पूर्व हमारे गुरुओं ने हमें " *प्रेम का खेल*" सिखाया था। *जो लोग वर्तमान में गुरुओं के प्रेम का खेल खेल रहे हैं, वे सिख हैं*।  उन्होंने खुद को *"जाति" से मुक्त कर लिया है और एक समुदाय के रूप में रह रहे हैं।* आपको गुरुओं के *"प्रेम"* के खेल को राजनीतिक रूप से खेलना शुरू कर देना चाहिए। यह *सामाजिक न्याय* का खेल नहीं है। यह *सामाजिक परिवर्तन* का खेल है। ब्राह्मणों के "षड्यंत्र का खेल" खेलना बहुत *आसान* है। लेकिन "प्रेम का खेल" खेलना *आसान* नहीं है। अपितु, केवल इस खेल के माध्यम से ही *"समताव...

ग्रोक से सवाल पूछा गया कि, शूद्र मिशन, "गर्व से कहो हम शूद्र है" क्या हिन्दू धर्म विरोधी है?

  *ग्रोक से सवाल पूछा गया कि, शूद्र मिशन, "गर्व से कहो हम शूद्र है" क्या हिन्दू धर्म विरोधी है?* *हैलो! शूद्र मिशन  "गर्व से कहो हम शूद्र है" को हिन्दू धर्म विरोधी मानना या न मानना इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे व्याख्या करते हैं।*  *विरोधी दृष्टिकोण*: कुछ लोग इस नारे को हिन्दू धर्म विरोधी मान सकते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि यह वर्ण व्यवस्था को चुनौती देता है और हिन्दू धर्म की परंपरागत संरचना के खिलाफ जाता है। वे यह भी सोच सकते हैं कि ऐसा नारा हिन्दू धर्म के सामाजिक संरचना के प्रति असंतोष को बढ़ावा देता है।   *समर्थक दृष्टिकोण:* दूसरी ओर, कुछ लोग इसे हिन्दू धर्म विरोधी न मानकर, इसे सामाजिक न्याय और समानता की मांग के रूप में देख सकते हैं। यह नारा शूद्रों के अधिकारों और उनकी पहचान को स्वीकार करने के लिए हो सकता है, जिससे वे सामाजिक पदानुक्रम में अपना सम्मान और स्थान प्राप्त करें।   *सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ:* हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था की व्याख्या समय और स्थान के साथ बदलती रही है। कुछ लोग मानते हैं कि शूद्रों का गर्व से अपनी पहचान स्वीकार क...

तहसीलदार नायव तहसीलदार सहित बाबू तक नही है कार्यालय में

   उदयपुरा *तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे किसान सहित अन्य सभी फरियादी* *तहसीलदार नायव तहसीलदार सहित बाबू तक नही है कार्यालय में* प्रभारी तहसीलदार श्रीमति आस्था चिड़ार पिछले तीन दिनो से कार्यलय नही पहुचीं है।आज की बर्तमान स्थिति यह है कि आज सुबह से ही कार्यालय में ना तो तहसीलदार है ना ही नायव तहसीलदार है साथ मे आज तो बाबू तक कार्यालय में नही है।जिन फरियादियों की आज दिनांक की पेशी है उन सहित अनेक कृषक भी कार्यालय के चक्कर लगा रहे है।जबकि आने बाले दिनों में अवकाश है तो यहां गौर करने बाली बात ये है कि ऐसे में जब पिछले दिनों से लोग अपने कामो को लेकर चक्कर लगा रहे है अब इन लोगो को अपने कामो को लेकर और कितने दिन चक्कर लगाने होंगे।इन सब स्थितियों के बीच अच्छी खबर यह है कि आज शुक्रवार है और प्रति सप्ताह अनुसार अनुविभागीय अधिकारी श्रीमान संतोष मुद्गल जी आज तहसील कार्यालय पहुँचने बाले है।

भाकियू टिकैत की आगरा मंडल की समीक्षा बैठक सम्पन्न

  *भाकियू टिकैत की आगरा मंडल की समीक्षा बैठक सम्पन्न--*    समीक्षा प्रभारी ओमपाल तालान राष्ट्रीय सचिव,सह प्रभारी-- आदर्श कुमार राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य,बिमल तोमर प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश मौजूद रहे। आगरा--भाकियू टिकैत की आगरा मंडल की समीक्षा बैठक जगदीश लवानिया फार्म हाउस,काकुआ, वाद आगरा में सम्पन्न हुई।बैठक मे समीक्षा प्रभारी श्री ओमपाल तालान राष्ट्रीय सचिब,सहप्रभारी श्री आदर्श कुमार राष्ट्रीय कार्यकरिणी सदस्य,श्री बिमल तोमर प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश मौजूद रहे।समीक्षा बैठक में संघटन के बिस्तार पर समीक्षा की गई। जनपद मथुरा,आगरा, फिरोजाबाद,मैनपुरी,जिलाध्यक्षो को समीक्षा बैठक में संगठन के बिस्तार  के लिए बिशेष निर्देश भी दिए गए। समीक्षा बैठक के प्रभारियों ने सभी को निर्देशित करते हुए बताया कि बड़े पदाधिकारी छोटे पदाधिकारियों को सम्मान देते हुए साथ लेकर चलने का कार्य करे,राजनीतिक दल किसानों में फूट डालो राज्य करो नीति को अपना रही है।बड़े पदाधिकारी छोटे पदाधिकारियों को साथ लेकर गांव गांव पहुचकर किसानों के बीच रुके,उनकी पीड़ा,दर्द में शामिल होकर समस्याओ का समाधान कर...

नई सैलरी और भत्ते

नेता इतना खा जाते हैं जनता बेचारी को बची कुची झूठन पर गुजारा करना पड़ता है... सरकार ने 21 मार्च 2025 को भारत में सांसदों की सैलरी और भत्तों में बढ़ोतरी का नया नोटिफिकेशन जारी किया है। नई सैलरी और भत्ते: ▪️बेसिक सैलरी: ₹1,00,000 से बढ़ाकर ₹1,24,000 ▪️डेली अलाउंस: ₹2,000 से बढ़ाकर ₹2,500 ▪️पेंशन: ₹25,000 से बढ़ाकर ₹31,000 ▪️अतिरिक्त पेंशन: हर पांच साल की सेवा के बाद ₹2,500 प्रति वर्ष बढ़ेगी अब सवाल यह उठता है कि जब सैलरी सिर्फ ₹1.24 लाख है, तो सांसदों का इतना बड़ा खर्च कैसे चलता है? रोज़ाना मिलने वालों की खातिरदारी, ट्रैवलिंग, स्टाफ का खर्च—यह सब कहाँ से आता है? जब इस पर गहराई से नज़र डाली गई, तो जो आँकड़े सामने आए, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। सांसदों को मिलने वाले अतिरिक्त भत्ते: 1. संविधानिक भत्ता:  ₹70,000 प्रति माह 2. ऑफिस एक्सपेंस अलाउंस: ₹60,000 प्रति माह (PS, ड्राइवर, स्टाफ के लिए) 3. डेली अलाउंस: ₹2,500 प्रति दिन (संसद सत्र या कमेटी मीटिंग में शामिल होने पर) 4. कम्युनिकेशन अलाउंस: ₹1,50,000 प्रति वर्ष 👉 अब सोचिए, जब कॉल्स लगभग मुफ्त हो चुके हैं और इंटरनेट मात्र ₹500-1000 में उ...

जय महाकुम्भ - जय विश्व हिन्दू - अभी इनके घर से पाँच बोरा गांजा पकड़ा गया है:

  ये हिंदुओं में भी सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मणों में शुक्ला जी लोगों के बाद दो नंबर के श्रेष्ठ त्रिपाठी जी हैं.श्री अमित त्रिपाठी. विश्व हिंदू परिषद के नेता भी हैं. अभी इनके घर से पाँच बोरा गांजा पकड़ा गया है: जी पाँच बोरा. विश्व हिंदू परिषद के झंडे लगी गाड़ियों से उड़ीसा से गांजे की तस्करी कराते थे- सप्लायर था जावेद ख़ान (गंगाजमुनी तहज़ीब देखिए- सौहार्द देखिए!) कुंभ मेले में भी इनकी कई गाड़ियाँ लगी हुईं थीं. देश विदेश से पधारे जाने कितने करोड़ों भोले भक्तों को इन्होंने प्रसाद दिया होगा.....  बाक़ी भी रोज़गार से लेकर घर परिवार की समस्याओं से जूझ रहे लोगों की मानसिक शांति की व्यवस्था ही कर रहे थे. मुझे भी दो चार सौ ग्राम मिल जाता तो बहुत ही अच्छा होता लेकिन मैं स्वार्थी नहीं हूँ. मैं बिना एक ग्राम पाए भी इन वीरों महावीरो की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा करता हूँ.... जय महाकुम्भ जय विश्व हिन्दू जय ह्रदय सम्राट की ✒️समर

ओबीसी जातिआधारित जनगणना और सभी जातिसमूह की जनगणना के समर्थन में

  *स्मृति संदेश सूचना* *सिरोही चलो सिरोही चलो*  🚗🚌🚘🛵🚆🚲 29 मार्च 2025 समय 11 बजे से स्थान खंडेलवाल छात्रावास सिरोही  अध्यक्षता मान्यवर वामन मेश्राम साहब राष्ट्रीय अध्यक्ष भारत मुक्ति मोर्चा नई दिल्ली।  विषय :- ओबीसी जातिआधारित जनगणना और सभी जातिसमूह की जनगणना के समर्थन में ईवीएम से चुनाव बंद कर बेलेट पेपर से चुनाव कराने के समर्थन में । शासक वर्ग द्वारा महापुरुषों के अवमानना के विरोध में  *9 अप्रैल 2025 को राष्ट्रव्यापी जिला मुख्यालय पर जेल भरो आंदोलन और 1 जुलाई को भारत बंद के अंतर्गत* इन तमाम विषयों पर विशाल सभा का आयोजन किया गया ।  कार्यक्रम में रजिस्ट्रेशन नोट करावे । ताकि व्यवस्था कर सके ।  चलो गांवों की ओर अभियान निवेदन बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, भारत मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा सिरोही।

बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क

  💥बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क 💥 📢📢📢 विशाल जनसभा 📢📢📢 इंदौरा मैदान चलो नागपुर चलो इंदौरा मैदान चलो नागपुर चलो इंदौरा मैदान चलो नागपुर चलो 👉दिनाँक 06 अप्रैल 2025 🍁💐अध्यक्षता: मा. वामन मेश्राम (राष्ट्रीय संरक्षक BIN)💐🍁 👉 अत्यंत महत्वपूर्ण सूचना👈 1) महाबोधि महाविहार को ब्राह्मणों के कब्ज़े से मुक्त करवाना हैँ तो इंदौरा मैदान नागपुर मे मूलनिवासी बहुजन लोगो को साथ लेकर आना ही होगा l 2)EVM को हटाना हैँ तो इंदौरा मैदान नागपुर रैली मे आना ही होगा l 3) महापुरुषो पर अभद्र टिप्पणी करने वालो के विरोध मे विशाल जनसभा इंदौरा मैदान नागपुर मे आना ही होगा l

ग्रोक से सवाल और जवाब

  *ग्रोक से सवाल और जवाब* ग्रोक जी, संविधान निर्माताओं ने, संविधान बनाते समय भारतीय जजों को दूसरा भगवान समझते हुए, उन्होंने उस समय सोचा कि, ए गलती कभी कर ही नहीं सकते, इतना पावर दिया कि, उनके जजमेंट के खिलाफ बोलने तक को कोर्ट की अवमानना माना । आज बड़ा मन दुखी हैं। ऐसा क्यों, कारण और आप की समीक्षा चाहता हूं। धन्यवाद। *जवाब लाजवाब* आपका प्रश्न बहुत गहरा और विचारणीय है। आपने भारतीय संविधान निर्माताओं के उस दृष्टिकोण की ओर इशारा किया है, जिसमें उन्होंने न्यायाधीशों को अत्यधिक सम्मान और शक्ति प्रदान की थी, यह मानते हुए कि वे अचूक होंगे। साथ ही, आप आज के संदर्भ में इस व्यवस्था से उत्पन्न कुछ असंतोष या दुख की बात कर रहे हैं। मैं इसे यथासंभव तटस्थ और विश्लेषणात्मक रूप से समझाने की कोशिश करूंगा। *कारण , क्यों संविधान निर्माताओं ने जजों को इतना अधिकार दिया:* *न्यायपालिका की स्वतंत्रता:*  संविधान निर्माताओं, जैसे डॉ. बी.आर. आंबेडकर, ने यह सुनिश्चित करना चाहा कि न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र रहे। ब्रिटिश शासन के दौरान देखा गया था कि शक्ति का दुरुपयोग कैसे होता है। इसलिए,...

जहां चाह हैं वहां राह निकल आती हैं। अब महाबोधी महाविहार मुक्ति आंदोलन और भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

  *जहां चाह हैं वहां राह निकल आती हैं। अब महाबोधी महाविहार मुक्ति आंदोलन और भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भिक्खू संघ और बौद्ध अनुयाई सभी इस आंदोलन से जुड़ रहे और अपनी सहभागिता दे रहे है। आप भी बोधगया जाकर इस आंदोलन का हिस्सा बनिए। ताकि आपकी आने वाली पीढ़ी को बता सकें कि जब आंदोलन चल रहा था तो हम घर पर दुबके बैठे नहीं थे बल्कि इस आंदोलन में कूद पड़े थे । इस लड़ाई में हमने भी एक छोटे से भीम  सिपाही की भूमिका निभाई थी। हमारी आने वाली पीढ़ी हम पर गर्व करेंगी।जैसा गर्व हम भीमा कोरेगांव के जाबांज सिपाहियों पर करते है।* *तो आइए और इस आंदोलन में शामिल होकर,धरने में कम से कम अपने जीवन के अनमोल पांच दिन देकर अपनी भूमिका निभाईए।* ✊✊✊🤝 *हम लड़ेंगे हम जीतेंगे* *अभी नहीं तो कभी नही* *और अब नही तो कब???*

देश आजादी से पहले और देश आजाद होने के 78 वर्ष बाद अन्नदाताओं का अपमान लगातार होता आ रहा है

  देश आजादी से पहले और देश आजाद होने के 78 वर्ष बाद अन्नदाताओं का अपमान लगातार होता आ रहा है जबकि भारत की पावन धरती पर ही नहीं वर्ल्ड में तथा पवित्र धर्म ग्रंथो में किसान को ईश्वर का स्वरूप बताया गया है आशा और उम्मीद के साथ वोट देकर किसान सरकार बदलता हैं कि उसका हक अधिकार मिलेगा लगभग 70% भारत की आर्थिक व्यवस्था को किसान अपने कंधों पर संभाले हुए हैं तथा देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में लगभग 60% किसान के बेटे मुख्य भूमिका निभा रहे हैं  सत्ता में आने के लिए तथाकथित नेता किसान के बेटे बनकर वोट मांगते हैं वादा करते हैं हमारी सरकार बनाए हम किसानों का सबसे ज्यादा भला करेंगे सत्ता में आने के बाद भूल जाते हैं अपने किए वादे को किसान अपनी जायज मांगों को लेकर सड़कों पर आकर आंदोलन करें, तो किसान को अलगाववादी, पाकिस्तानी, खालिस्तानी, आतंकवादी, परजीवी, आंदोलन जीवी, अनेक नामो से अपमानित कर लाठी डंडों एवं संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज कर जेल में डालकर मानो सम्मान किया जाता है नहीं समझते की जिस दर्द को लेकर किसान सोता है उसी दर्द को लेकर जगता है 24 घंटे उम्मीद की...

मजबूर दरिंदों को कर दो

  *~~~मजबूर दरिंदों को कर दो~~~* *संकेत समझते नहीं लोग, हम कैसे उन्हें पुकारेंगे ?* *जब एक साथ होगी जनता, तो वे किस किस को मारेंगे?* श्री लंका का उत्सव देखा, जब आग लगी थी पानी में। म्यांमार बांगला देश अभी, हैं झुलस रहे नादानी में। *भड़काने वाले लगे हुये, हिंदू खतरे में पड़े हुये।* *मणिपुर में आग लगी थी जब, तब ये सब क्यों न खड़े हुये।* ये गिरी मानसिकता ले कर,  झूठा प्रचार करने वाले। कितने इनके घरवाले थे, पुलवामा में मरने वाले। *ये मानवता के दुश्मन हैं, घपलों को रोज दबाते हैं।* *बातों बातों में ही देखो, कितनी दौलत खा जाते हैं ?* गठजोड़ समझ लो इन सबका, कब्जा है सभी ठिकानों पर। बिखरे बिखरे हैं नौजवान, पानी डाला अरमानों पर। *आँधी पानी सब देख लिया, अब समझाने का काम नहीं।* *तब से अब तक सबने जाना, ये भारत इनके नाम नहीं।* बेरोजगार क्यों बैठे हो, छाती में उठता दर्द नहीं। दो कदम नहीं चल पाओगे, मौसम इतना भी सर्द नहीं। *ये वक्त संभालेगा सबको, उठ कर अपनी हुंकार भरो।* *मजबूर दरिंदों को कर दो, आपस में इतना प्यार भरो।* संकेत नहीं करने होंगे, जब जान जान में डालोगे। मौसम चाहे जैसा भी हो, मन की हर ख्...

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

  *सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,* *देखते है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में ही है ।*

संसार कष्ट में पड़ा है।

  🌻धम्म प्रभात🌻  अहो! संसार कष्ट में पड़ा है।  "जाति च जीयति च चवति च उपपज्जति च"-  जन्मता है, जीर्ण होता है,मरता है,च्युत होता है, और फिर उत्पन्न होता है। यही संसार में a असति इदं न होति"- - इससे न होने से यह नहीं होता है।  "इमस्स निरोधा इदं निरूज्झति"- - इसके निरोध हो जाने से यह भी निरूद्ध हो जाता है।  किसका निरोध होता है? तृष्णा का निरोध होता है।  तृष्णा ही संसार में सभी दु:खों का मूल है। तृष्णा के कारण ही राग द्वेष और मोह उत्पन्न होते हैं। राग द्वेष और मोह का समुच्छेद प्रहाण करने के लिए मनुष्य को शील समाधि और प्रज्ञा का अभ्यास करना चाहिए।  तृष्णा का क्षय यानी दु:खों से मुक्ति। यही सनातन सत्य है। नमो बुद्धाय🙏🏻🙏🏻🙏🏻

बौद्धिक शव यात्रा - आजमगढ़ ,ऊ प्र

*आजमगढ़ ,ऊ प्र,* *यह बौद्धिक शव यात्रा अनिल मौर्य के माता का है जो मेहनगर विधान सभा के गांव भदिया खरिहानी में निकली है । दिनांक 1अपैल को बड़ी संख्या में दोपहर 2बजे श्रद्धांजलि सभा आहूत की गयी है ।बहुजन भाई सादर आमंत्रित हैं और ज्ञान देकर कारवां आगे बढ़ायें ।* *आजमगढ जनपद में बौद्धिक जागरण का फैलाव क्रमश बढ़ रहा है* ।

मृत्युभोज कुप्रथा उन्मूलन अभियान ललितपुर

  *मृत्युभोज कुप्रथा उन्मूलन अभियान ललितपुर*  ग्राम *बरोदाडांग ब्लॉक बार* जिला ललितपुर उत्तर प्रदेश   निवासी *स्मृतिशेष गोवन कुशवाहा* का आकस्मिक देहांत होने पर, मानव समाज में व्याप्त *सामाजिक कुरीति मृत्युभोज कुप्रथा* को बंद कर दिनांक 17, 03, 2025 सोमवार को *श्रद्धांजलि_शोकसभा* संपन्न हुई, उपस्थित रहे सभी महानुभावो का ह्रदय से आभार, आशा है,आप भी इस सामाजिक मिशन से जुड़कर मानव समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों,ढोंग पाखंड, अन्धविश्वास,जुआ शराब,फिजूलखर्ची आदि गलत परम्पराओ को बंद कर, अपने पिछड़े हुए मानव समाज को आगे बढ़ाने में सहयोग करेंगे,,!! ""*महेश कुशवाहा*"" (सामाजिक कार्यकर्ता)टोडी ललितपुर  उत्तर प्रदेश,, *धन्यवाद*

नेत्रदान कर अमर हुई श्यामदेई

  *नेत्रदान कर अमर हुई श्यामदेई*  जौनपुर जिले के केराकत तहसील के अन्तर्गत ग्राम सभा -कुशहां (कनुवानी) निवासीनी *श्रीमती श्यामदेई देवी (* 62वर्ष) पत्नी श्री नन्दलाल पटेल का कल दिनांक 13 मार्च 2025 को अपराह्न 3.00 बजे हृदयाघात के कारण देहान्त हो गया। उनके पड़ोसी श्री रामचन्द्र वर्मा जी द्वारा मृत्यु की सूचना अपने अनुज शिक्षक व नेत्रदान प्रेरक डॉ० उमा शंकर वर्मा को दिया गया। डॉ० उमाशंकर व उनके भतीजे चिकित्साधिकारी डा० राम कुमार वर्मा के संयुक्त प्रयास से मृतक के पुत्रगण श्री राज बहादुर पटेल (मुम्बई सेवारत) व श्री प्रताप बहादुर पटेल (मेडिकल स्टोर्स) नेत्रदान के लिए अपनी सहमति प्रदान की। शिक्षक व सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रबली पटेल के संदेश पर डा० अजय कुमार मौर्य के नेतृत्व में *"वाराणसी आई ** *बैंक सोसायटी** " रामकटोरा वाराणसी की टीम शाम 6.00 बजे कुशहां गांव पहुंच कर ' **नेत्रदान- महादान'* *का कार्य सम्पन्न करायी। टीम को घर तक पहुंचाने में शिक्षक श्री भरतलाल पटेल का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर श्री खरभन पटेल, श्री छेदीलाल मास्टर,श्री नवनीत वर्मा श्री रामाश्रे विश्वकर्मा, श...