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चमकदार लिबासों में लिपटे लोग चाहे अंग्रेजों के समय के हों या 1947 के बाद के हों, वे सोच भी नहीं सकते कि हमारा देश आजाद कब हुआ था ? 1947 में या 2014 में।* वे गुलाम ही कब थे ?

  *~~~~~~छद्म इतिहास~~~~~~*         *चमकदार लिबासों में लिपटे लोग चाहे अंग्रेजों के समय के हों या 1947 के बाद के हों, वे सोच भी नहीं सकते कि हमारा देश आजाद कब हुआ था ? 1947 में या 2014 में।* वे गुलाम ही कब थे ? उन्हें आजादी की दरकार ही नहीं थी। *हाँ उनका जो वर्चस्व धीरे धीरे समाप्त हो रहा था उसके प्रति उनकी चिन्ता जायज थी। वे बिना वर्चस्व के रह कैसे पायेंगे ?*        *उन्हें मुफ्त में गुलामों की लम्बी फ़ौज मिली हुयी थी। उसका भी दुख उन्हें सता रहा था। इसीलिये उनका स्पष्ट मानना था कि यदि अछूतों शूद्रों को अधिकार दिये जाते हैं तो उन्हें ऐसी आजादी नहीं चाहिये।* वे अंग्रेजों के गुलाम होना पसंद करेंगे लेकिन अधिकार विहीन समाज को अधिकार दे कर वे उन्हें अपने सिर पर किसी हाल में नहीं बैठा सकते हैं। *हम आज सोचते हैं कि उन लोगों के दिल और दिमाग़ में कितनी नफ़रत और घृणा भरी हुयी थी।*    *भारतवर्ष का एक हिस्सा अंडमान और निकोबार भी है। गाँव देहात और दूरस्थ स्थानों में रहने वाले अनपढ़ लोग शायद आज भी इससे बाक़िफ़ नहीं हैं। हाँ यदि उसे कालापानी बोला जायेगा...

चोरों के आशीर्वाद का चमत्कार

  *चोरों के आशीर्वाद का चमत्कार*    एक स्कूल शिक्षक ने बच्चों को चोरों के बारे में होमवर्क दिया - उन्हें इस विषय पर एक निबंध लिखने के लिए कहा।    8वीं कक्षा के एक होशियार छात्र ने निम्नलिखित निबंध लिखा: --- *चोर हमारे देश की अर्थव्यवस्था का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।* *वे रोजगार सृजन और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।*    आप इसे पढ़कर आश्चर्यचकित हो सकते हैं - मैं इस पर थोड़ा प्रकाश डालता हूँ। *तिजोरी, ताले, लॉकर, अलमारी - ये सब चोरों की वजह से बनते हैं।*    इन वस्तुओं को बनाने वाली कई फैक्ट्रियाँ और कार्यशालाएँ इस पेशे की बदौलत रोजगार प्रदान करती हैं।    घर पर भी, खिड़की की ग्रिल, कुंडी और मजबूत दरवाजे लगाने की ज़रूरत बढ़ई और मजदूरों को काम देती है।    घरों, दुकानों, स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और कारखानों की सुरक्षा के लिए गार्ड और चौकीदार रखना ज़रूरी हो जाता है। *लोगों को सीसीटीवी कैमरे, मेटल डिटेक्टर और सुरक्षा प्रणाली बनाने वाली कंपनियों में नौकरी मिल जाती है।*  *चोरों की वजह से पुलिस, कोर्ट, ...

पुत्ता_मत्थि_धनम्मत्थि_इति_बालो_विहञ्ञति। अत्ता_हि_अत्तनो_नत्थि_कुतो_पुत्ता_कुतो_धनं

  #पुत्ता_मत्थि_धनम्मत्थि_इति_बालो_विहञ्ञति। #अत्ता_हि_अत्तनो_नत्थि_कुतो_पुत्ता_कुतो_धनं॥                       ।। बाल वर्ग  - धम्मपद ६२ ।। 'यह पुत्र मेरा है', 'यह धन मेरा है' - ऐसा सोचकर मुर्ख व्यक्ति का जीवन दुखमय हो जाता है । अरे ! जब मनुष्य स्वयं अपने आप का नहीं है तो कहाँ से उसका पुत्र और कहाँ से उसका धन होगा । हम सदैव गलतफहमी में रहते हैं की हम सदा के लिए जीवित रहेंगे । अतः हमारी सांसारिक चीजों में आसक्ति हो जाती है जबकि सच्चाई यह है की जीवन तो पानी के बुलबुले की तरह है । वह जल्दी ही फुट जाएगा । संकलन:- भिक्खु धम्मशिखर

ब्राह्मणों का षड्यंत्र: बाबरी मस्जिद का असली गुनाहगार

  *ब्राह्मणों का षड्यंत्र: बाबरी मस्जिद का असली गुनाहगार*          (1) दिनांक 23-12-1949 को रात 12.01 मिनट,  प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू,  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत और फैजाबाद के डी. एम  के. के. नायर के काल में गोरखधाम (गोरखपुर) से लायी गयी राम,सीता और लक्ष्मण की मूर्ति मस्जिद के गुम्बद के नीचे बीच में रख दी गई।  इस प्रकार नेहरू सरकार ने फिरकापरस्त ताकतों के कहने पर बाबरी मस्जिद को विवादित स्थल बनाया।           (2) 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के काल में विवादित बंद मस्जिद का ताला खुलवाया गया।  इसी समय दूरदर्शन टीवी पर 'रामायण धारावाहिक ' प्रसारित कर राम कथा घर घर प्रचारित कर धार्मिक भावना जागृत किया गया।  राजीव गांधी ने ताला खुलवाया और मस्जिद के अन्दर मूर्ति रखवाकर पूजा करने की इजाजत दी।               (3) 6 दिसंबर 1992 को प्रधानमंत्री नरसिंहराव  एवं उत्तर प्रदेश के बीजेपी मुख्यमंत्री के काल में संघ परिवार, कारसेवकों आदि द्व...

RSS-भाजपा का फर्जी राष्ट्रवाद का विष पी रहा है भारतीय समाज

  *RSS-भाजपा का फर्जी राष्ट्रवाद का विष पी रहा है भारतीय समाज*  RSS-भाजपा के फर्जी राष्ट्रवाद ने देश को जिस गर्त में धकेल दिया है, उसे समझने के लिए न तो किसी रॉकेट साइंस की जरूरत है और न ही आर्थिक विशेषज्ञता की। वह साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। अब देश को एक बार फिर उसी खाई में धकेलने के लिए भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर कल 24 जुलाइ, 2025 को  चुनाव मे फ्रॉड करके तीसरी बार PM बन बैठे मोदी लंदन में हस्ताक्षर करने वाले हैं।   यदि ऐसा हुआ तो भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों जैसे निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं— *1)* यूके से सस्ते आयात, विशेष रूप से वस्त्र, चमड़ा और अन्य श्रम-प्रधान उत्पादों में भारतीय MSME को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। इससे स्थानीय उत्पादकों की बाजार हिस्सेदारी और आय घटना निश्चित है। *2)* यूके के कृषि और डेयरी उत्पादों (जैसे पनीर, डेयरी-आधारित खाद्य पदार्थ) पर आयात शुल्क हटाने से भारतीय किसानों और डेयरी उद्योग को नुकसान होगा। स्थानीय उत्पादकों को सस्ते आयातित उत्पादों से प्रतिस्पर्द्धा करन...

बोधिसत्व डा0अंबेडकर ने गरीबी से निजात दिलाने के लिए संघटित संघर्ष किया।,सत्ता पर कब्जा के लिए एससी-एसटी पिछड़ी जाति वर्ग बनाए,

  बोधिसत्व डा0अंबेडकर ने गरीबी से निजात दिलाने के लिए संघटित संघर्ष किया।,सत्ता पर कब्जा के लिए एससी-एसटी पिछड़ी जाति वर्ग बनाए, उन्हें संवैधानिक अधिकार दिलाया, लेकिन स्वार्थी जातिवाद के अहंकार में हिन्दू हिंदुत्व के जाल में फंसाकर मनुवादियों के चंगुल में फंसकर एक दिन गुलाम होने स्थिति आज शोषित पीड़ित अधिकार विहीन हो रहे है। -----------------------------------------------------------------------           बोधिसत्व भारतरत्न डा0बी0आर0अंबेडकर का पूरा जीवन सामाजिक,राजनैतिक,आर्थिक, धार्मिक विषमताओं को दूर करने में लगाकर शोषितों को संविधान और लोकतंत्र दिया। वहीं समाज आज जातियों में बंटकर स्वार्थी जातिवादी बनकर जाति झूठ में फंसकर अपने विकास एवं सत्ता पर कब्जा करने में नाकामयाब रहा, इसलिए आज पीड़ित बंचित शोषित है। सामाजिक,राजनैतिक न्याय के लिए अंग्रेजी हूकूमत से लड़ाई लड़ी, जिसमें सफलता के तौर पर साइमन कमीशन, तीनों गोलमेज सम्मेलन में प्रस्तुत साक्ष्य वक्तव्य के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने कुछ अधिकार दिए, उसे संबिधान निर्माण के तौर पर गोलमेज सम्मेलन, संबिधान सभा के भाषण...

भारत का नाम पहले बुद्ध देश क्या था?

  भारत का नाम पहले बुद्ध देश क्या था?  अरब और भारत संबंध - एक ऐतिहासिक अन्वेषण, पुस्तक और इसके लेखक के बारे में (यदि आप पुस्तक पढ़ना चाहते हैं, तो लिंक कमेंट में है।366 पृष्ठ की किताब है। अरब और भारत के संबंध (अरब और भारत संबंध) पुस्तक 1929 में आजमगढ़ के एक प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और इतिहासकार मौलाना सैयद सुलेमान नदवी द्वारा लिखी गई थी। मूल रूप से इलाहाबाद स्थित हिंदुस्तानी अकादमी में पाँच व्याख्यानों की एक श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत, यह कृति भारत और अरब जगत के बीच प्राचीन संबंधों की गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। अरब ऐतिहासिक अभिलेखों में बौद्ध धर्म इस पुस्तक का एक दिलचस्प विवरण बौद्ध धर्म पर अरबों का दृष्टिकोण है। अरब लोग बौद्धों को समानी (समणी) कहते थे - यह शब्द समान (समान) से लिया गया है। इसके अतिरिक्त, मूर्ति के लिए फ़ारसी शब्द, बुत, बुद्ध, बौद्ध प्रतिमा विज्ञान के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है। मंदिरों को बुतखाना और मूर्ति पूजा को बुतपरस्ती कहा जाता था। ये भाषाई निशान इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि बौद्ध धर्म इस क्षेत्र की सांस्कृतिक स्मृति में कितनी गहराई से समाया हुआ...

दो हजार साल से भारत मे चली आ रही मनु की व्यवस्था को 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू होते ही, संविधान के अनुच्छेद 13 ने एक ही दिन मे शून्य कर दिया,

  कृपया पूरा जरूर पढ़ें....  *संविधान की शक्ति,* दो हजार साल से भारत मे चली आ रही मनु की व्यवस्था को 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू होते ही, संविधान के अनुच्छेद 13 ने एक ही दिन मे शून्य कर दिया,  और इसके बाद भारत के शुद्रों व अति शुद्रों को सम्मान व अवसर की प्राप्ति हुई,  लेकिन मनुवादी, अब इसी संविधान को कमजोर व खत्म करके वही आसमानता की पुरानी व्यवस्था लाने का दिन रात प्रयास कर रहे हैं,  जिसने मूलनिवासीयों को शिक्षा, सम्मान, व सुरक्षा से वंचित किया था,  *और मूलनिवासी समाज ये सब अपनी खुली आँखों से देख रहा है और सो रहा है,*  हम और हमारे आंदोलन सब बटें हुए हैं,  हमे जानबूझकर मनुवादियों ने अलग अलग आंदोलनों मे भटका रखा है, ताकि आज़ादी का आंदोलन न चल सके..  *मूलनिवासी आरक्षण बचाने, लागू कराने, आरक्षण बढ़ाने मे व्यस्त है,*  @ कहीं कुछ लोग सफाई कर्मियों की समस्या सुलझाने मे लगे हैं,  @ कहीँ कुछ लोग बुद्ध और बाबा साहेब की प्रतिमा की स्थापना व बौद्ध विहार बचाने मे लगे हैं,  @ मुस्लिम्स पर बात आई तो वे शाइनबाग मे बैठे,  @ किसानों पर ...

भारत में राजनीति में मोदी की खोज हिन्दू हिंदुत्व,मनोरंजन,खेलकूद,, निजीकरण सरकारी नौकरीं खत्म नौकरी बिषलेषण पर चिंतन!

  भारत में राजनीति में मोदी की खोज हिन्दू हिंदुत्व,मनोरंजन,खेलकूद,, निजीकरण सरकारी नौकरीं खत्म नौकरी बिषलेषण पर चिंतन! ---------------------------------------------------------------------          मनोरंजन-फिल्म अभिनेता,अभिनेत्री ऐसा क्या करते हैं।कि इनको एक-एक फिल्म के लिए 50 करोड़ या 100 करोड़ रुपये मिलते हैं? यह आमदनी किसके कारण होता है,जिनके कारण होती है,उन्हें इस मिलता क्या है। सिर्फ मनोरंजन और मनोरंजन के बदले देश के नागरिक करोड़ रुपए खर्च करते हैं।यदि फिल्म निर्देशक,निर्माता फिल्म में काम के बदले बेमन दें और फिल्म की आमदनी को देश के व्यवसाय पर खर्च हो,तो बेरोजगारी खत्म कर भारत को उन्नतिशील, बिकसित दे बनायें।           नौकरी एवं शोध-शीर्ष वैज्ञानिकों,डाक्टरों,इंजीनियरों, प्राध्यापकों, अधिकारियों इत्यादि प्रतिवर्ष 10 लाख से 20 लाख रुपये बेमन लेते हैं,इन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइल भी करते हैं। यदि यह धन व्यवस्था परिवर्तन में ईमानदारी लगे,तो शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार हो सकता है,रुपया जो सरकार लेती है,कम पड़ने पर दूसरी मदों ...

वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन की कहानी,अभय रत्न बौद्ध की जुबानी, पोस्ट को पूरा पढ़ें, और शेयर करें

  *‌‌प्रिय मित्र सतीश राष्ट्रपाल जी* सदस्य - राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया, गुजरात राज्य से, नमो बुद्धाय जय भीम *वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन की कहानी,अभय रत्न बौद्ध की जुबानी, पोस्ट को पूरा पढ़ें, और शेयर करें*🌷  *महाबोधि महाविहार प्रबंधन मामले की जंग आखिरी मुकाम पर है, जिसे बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के प्रमुख अधिवक्ता  एवं महाराष्ट्र राज्य इकाई, कानूनी विभाग के मुख्य सलाहकार शैलेश नारनवरे एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट एवं मुंबई हाई कोर्ट के अथक प्रयासों एवं परिश्रम के द्वारा बौद्ध समुदाय के पक्ष में बुध्दगया महाबोधि महाविहार प्रबंधन मामले की जंग जीती जाएगी। महाबोधि महाविहार मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली में होगी।*           *अब आप जैसे विद्वान साथियों के द्वारा "कथित बुद्धिस्ट फोरम" नामक  क्षेत्रीय संगठन को ऑल इंडिया का संगठन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं। किंतु इस बात लिए खेद प्रकट करता हूं कि आपके सहयोगी साथियों एवं मेरे प्रमुख सहयोगी मित्र तथा...

ताले स्कूलों में डाले~~~~* *~~~~ये कैसी लाचारी है

  *~~~~ताले स्कूलों में डाले~~~~* *~~~~ये कैसी लाचारी है~~~~* *फोड़ रहे हैं रोज नारियल, पर कुछ काम नहीं आता।* *चाहे जिस धारा में जाओ, सबका शिक्षा से नाता।* अगर न्याय के लिये लड़ोगे, विद्यालय ही जाना है। जो विद्यालय बन्द कर रहे, उनको सबक सिखाना है। *स्वास्थ्य ठीक रखने की खातिर, अस्पताल की बारी है।* *ताले स्कूलों में डाले, ये कैसी लाचारी है ?* जिन्दा रख कर मार रहे वे, चुप हो कर क्या करना है ? अगर कदम न अभी उठाये, तो जीते जी मरना है। *मन्दिर के प्रांगण काफी हैं, बदलो सब स्कूलों में।* *बुलडोजर से ध्वस्त करो मत, ये है नहीं उसूलों में।* दिन का सूरज देख लिया है, अभी रात में बदलेगा। डाल डाल का खेल यहाँ पर, पात पात में बदलेगा। *मन्दिर ज्यादा बना रहे हैं, और अँधेरा करने को।* *इनकी कौमें बची रहेंगी वहीं रात दिन मरने को।* दुनिया का इतिहास देख लो, धर्म यहाँ भटकाता है। सच से जनता दूर रहे बस, शूली पर लटकाता है। *अय्यासों का इसी धर्म के अन्दर बना बसेरा है।* *चोर डकैतों मक्कारों ने, वहीं लगाया डेरा है।* पीढ़ी दर पीढ़ी देखा है, प्रतिफल कुछ भी नहीं मिला। जो जैसा वैसा ही ठहरा, पत्थर अब तक नहीं हिला। *उसी ...

नाम बुद्ध के कर्जा ले कर~~~* *~~~~~सारा देश डुबाया है

  *~~~नाम बुद्ध के कर्जा ले कर~~~* *~~~~~सारा देश डुबाया है~~~~~* *ले कर नाम बुद्ध का फिर से, झूठ पसारा जायेगा।* *महाबोधि की दशा देख लो, कहाँ सितारा जायेगा।* छद्म रूप धारण कर के वे, घूमें खूब विदेशों में। अक्ल नहीं है शक्ल नहीं है, राम घुसे संदेशों में। *नाम बुद्ध के कर्जा ले कर, सारा देश डुबाया है।* *जनहित की धन दौलत से, अपना ढाँचा चमकाया है।* शान्ति यहाँ लाने की खातिर, अभी क्रान्ति आगाज करो। अगर गुलामी से बचना है, तो फिर अपना राज करो। *एक बुद्ध का नाम लिया फिर, दौलत खूब बटोरी है।* *चोरी की चोरी कर डाली, अब ये सीना जोरी है।* ये सुर के संग्राम छिड़े हैं, अन्त किसी को पता नहीं। ये बदली पीढ़ी वाले हैं, इनकी कोई खता नहीं। *मन्थन अब प्रारम्भ हुआ है, झकझोरेंगे धीरे से।* *मिथक मनोहर नहीं मिलेंगे, अब जमुना के तीरे से।* हर जगह कहानी बदली है, हर जगह झूठ की गाथा है। उत्तर दक्षिण सब देख लिया, अब फिर से ठनका माथा है। *ये झूठ बदलते यहाँ वहाँ, न पहुँच कहीं पर हो पायी।* *विज्ञान यहाँ जब से आया, आँगन में आयी अंगड़ाई।*   पल भर में पोल लगी खुलने, कुछ खुली दुकानें बन्द हुयीं। भय ने भ्रम पैदा क...

मेरे अनुभव की कुछ लाईने मेरे दोस्तो के नाम.

  Wish you a Happy Friendship Day My Friend... *मेरे अनुभव की कुछ लाईने मेरे दोस्तो के नाम...* @ दुनियाँ का सबसे कीमती धन होता है दोस्त,  @ दुनियाँ का सबसे मजबूत रिश्ते होता है दोस्ती,  @ दोस्ती ही वह रिश्ता है जो विरासत से नही बल्कि हम खुद दिल से चुनते हैं,  @ दोस्ती का रिश्ता ही एकमात्र निस्वार्थ रिश्ता है।  @ आपके दुख दर्द, परेशानी मे कोई काम आए या न आए, दोस्त हमेशा काम आता है,  @ दोस्त ही है जिससे आप अपने दिल कि हर बात खुलकर बोलते हैं,  @ दोस्ती ही वह रिश्ता है जो जाति, धर्म, अमीरी, गरीबी, भाषा प्रांत देखकर नही होती है,  @ दोस्त ही है जो आपकी सफलता के हर कार्य मे आपका साथ बिना शर्त के देता है।  @ दोस्त ही है जो आधी रात मे भी आपके लिए अपना दरवाजा खोलता है।  *@ दोस्त ही है जो आपकी गलती पर डांट सकता है, गाली भी दे सकता है, पीट भी सकता है, लेकिन अगर आप बेकसूर हैं तो बिना किसी की परवाह किए बैगर, आपको संकट से निकालने के लिए जान की बाजी भी लगा सकता है,* @ दोस्त ही है जो मेरी गलतियों को नजर अंदाज करके मुझे माफ कर देता है।  @ इसलिए एक दू...

फ़ासीवादी भाजपा के आतंकराज की एक और बानगी

  📮_____________📮 *फ़ासीवादी भाजपा के आतंकराज की एक और बानगी* ________ _मध्य प्रदेश के देवास जिले के शुक्रवासा में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों को लेकर काम करने वाले नागरिकों और युवाओं का समूह हाउल क्लब इस समय फ़ासीवादियों के निशाने पर है।_ धर्मान्तरण कराने का फ़र्ज़ी आरोप लगाकर हाउल समूह के कार्यकर्ताओं पर बजरंग दल और भाजपा द्वारा पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर हमला किया गया। इस हमले के ख़िलाफ़ प्रतिरोध कर रहे हाउल क्लब के कार्यकर्ताओं को कई-कई बार हिरासत में लिया गया और हाउल क्लब के सौरभ बैनर्जी को गिरफ़्तार कर लिया गया।  ग़ौरतलब है कि पिछले लम्बे से हाउल क्लब के कार्यकर्ता बजरंग दल जैसे फ़ासीवादी गुण्डा वाहिनी की आँखों की किरकिरी बने हुए थे। इन्दौर और देवास के अख़बारों के ज़रिये धर्मान्तरण कराने का फ़र्ज़ी आरोप लगाते हुए हाउल समूह के कार्यकर्ताओं के बारे में उल्टी-सीधी ख़बरें प्रकाशित की जा रही थीं। पुलिस प्रशासन को जब इस फ़र्ज़ी आरोप का कोई भी सबूत नहीं मिला तो इस क्लब की शुक्रवासा स्थित जगह पर छापा मारकर वहाँ मौजूद कार्यकर्ताओं को जबरन हिरासत में ले लिया गया और...

*डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर वाचनालय उरला दुर्ग में आज माह के पहले रविवार बच्चों को "बुद्ध और उनका धम्म" में "तपस्चर्या का त्याग" साक्षी बौद्ध द्वारा पढ़ाया

  🎍 *संडे मिशन स्कूल*🎍 🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍       *नमो बुद्धाय जयभीम* 🕯️🙏     *डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर वाचनालय उरला दुर्ग में आज माह के पहले रविवार बच्चों को  "बुद्ध और उनका धम्म" में "तपस्चर्या का त्याग" साक्षी बौद्ध द्वारा पढ़ाया , समझाया  और इसके साथ ही बिन्दुवार अनुच्छेद में लिखवाया गया । इसके पश्चात मैंने बच्चों से लिखित प्रश्न किए और बच्चों ने  लिखित में स्वविवेक  उत्तर दिए । कक्षा की शुरुआत बुद्ध,धम्म,संघ त्रिरत्न वंदना से हुई और अक्षिता द्वारा  22 प्रतिज्ञा का वाचन कर कक्षा का समापन हुआ ।*  *बच्चें इतिहास पढ़ेंगे तभी अपना भविष्य गढ़ेंगे ।।*👑👑👑 *अतः आप सभी प्रबुद्ध जनों से नम्र निवेदन है कि अपने अपने नगर में अपनी सुविधानुसार और सुनियोजित समयानुसार सप्ताह में एक दिन प्रत्येक रविवार को संडे मिशन स्कूल का संचालन कीजिए । ताकि बच्चों को तथागत बुद्ध का उपदेश , डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर का संदेश और संविधान का आदेश की जानकारी हो । आपका आज का कर्म बच्चों के लिए कल का मर्म होगा।* *सविता बौद्ध "संकल्पी "* 🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️

वे बन्द करें स्कूलों को~~~~* *~~~तुम लौटो अपनी काया में

  *~~~~वे बन्द करें स्कूलों को~~~~* *~~~तुम लौटो अपनी काया में~~~* *ये काँवड़िये क्या जाली हैं, लगते तो बड़े बवाली हैं।* *ये काँवड़िये का भेष धरे, क्या गुण्डे और मवाली हैं।* कुछ तो हैं काफी पढ़े लिखे, लाचार उन्हें कर डाला है। भण्डारे इतने खोल दिये, तब मुँह में गया निवाला है।  *घर द्वार छोड़ कर पढ़े लिखे, कुछ दिन भूखे ही काटे हैं।* *जब से हाँडी परवान चढ़ी, तब से घर घर सन्नाटे हैं।* वे बन्द करें स्कूलों को, तुम लौटो अपनी काया में। इतिहास पुराना पलट चलो, जो छिपा लिया है छाया में। *स्तूप छिपा कर देख लिया, शिव लिंग की कथा बखान चले।* *कुछ ही तो बने कथा वाचक, अब कितने तीर कमान चले ?* ये है प्रजाति परजीवों की, ये श्रम से रहते दूर सदा। ये छिप कर मूल निवासी को, कर देते हैं मजबूर सदा। *ये कथा सुनाते हैं झूठी, षड्यंत्र चलाते रहते हैं।* *तुम सबको भटका कर अपनी, हर ज्योति जलाते रहते हैं।* तुम दौड़ रहे हो पैदल ही, तुम संघर्षों के आदी हो। कुछ मन्नत ले कर आये हैं, उनकी जल्दी से शादी हो। *पुरखों की कठिन तपस्या का, तुमने श्रम जाना नहीं अभी।* *इतना अन्धा कर डाला है, सच को भी माना नहीं कभी।* उनकी बातें मत ...

तब सिन्दूर नहीं उजड़ा था~~~* *~~~~जब घाटी गलवान हुयी

  *~~~तब सिन्दूर नहीं उजड़ा था~~~* *~~~~जब घाटी गलवान हुयी~~~* *पहले झूठ बोलती जनता, पोल मीडिया खोल रही।* *अब जब झूठ मीडिया बोले, जनता सारी डोल रही।* पोल मीडिया खोले तब तो, शर्म हया भी आती थी। कई महीनों तक ये जनता, चेहरा नहीं दिखाती थी। *नैतिकता थी मर्यादा थी, सामाजिक भय ज्यादा था।* *झूठ बोलने में तब इतना, गन्दा नहीं इरादा था।* अब तो झूठ बोलने की, अतिशय तैयारी होती है। और दूसरे दिन ही कितनी, मारा मारी होती है। *झूठ नहीं था फिर भी देखो, पहलगाम का शोर हुआ।* *जो सिन्दूर उजाड़े उनका, घर कितना कमजोर हुआ।* पर जो धर्म दूसरा ओढ़े, वे सिन्दूर नहीं भरते। बेवश हठधर्मी के आगे, और बिचारे क्या करते ? *तब सिन्दूर नहीं उजड़ा था, जब घाटी गलवान हुयी।* *वहाँ वास्ता पड़ा चीन से, तब क्यों न बलवान हुयी ?* जो मुस्लिम कमजोर उसी से, हाथापायी करते हैं। डाल मजारों पर चादर, उसकी भरपायी करते हैं। *यही मीडिया है सरकारी, चरणों में गिर जाता है।* *नैतिकता है शून्य विवादों में, हर दम घिर जाता है।* यही मीडिया सोशल हो कर, जम कर अपनी बात करे। सरकारों की तरह नहीं, ये घात और प्रतिघात करे। *क्यों चीनी सरकार देश का, बदल अभी भू...

महाबोधि महाविहार प्रबंधन मामले की अगली सुनवाई 5अगस्त 2025 सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में होगी

  *महाबोधि महाविहार प्रबंधन मामले की अगली सुनवाई 5अगस्त 2025 सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में होगी।🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷*   👉  *सावधान*👉           फेसबुक पर कथित शारदा मित्र भिक्षु होकर झूठ बोल रहा है, कि आकाश लामा के नेतृत्व में महाबोधि महाविहार मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है और हो रही है।। यह भिक्षु झूठ बोलकर क्या साबित करना चाहता है? आज 29 जुलाई 2025 को जापानी भिक्षु आर्या नागार्जुन सुरई ससई महाथेरो जी की रिट पिटीशन (सिविल) संख्या-380/2012"भंते आर्य नागार्जुन सुरई ससई एवं अन्य बनाम भारत सरकार के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट  के अंदर महाबोधि महाविहार मामले के  मुख्य अधिवक्ता शैलेश नारनवरे नागपुर, प्रियदर्शी अशोक अवार्ड से सम्मानित, बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत में,"महाराष्ट्र राज्य कई के मुख्य कानूनी सलाहकार" एवं एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड श्रेयास जी माननीय उच्चतम न्यायालय में पेश हुए और आगे की सुनवाई के लिए 5 अगस्त 2025 तय की गई। आकाश लामा सहित कई इंटर विनर याचिकाकर्ता प्रसिद्धि पाने के लिए सुप्रीम कोर्...

शारीरिक गुलामी से खतरनाक मानसिक दासता

  *शारीरिक गुलामी से खतरनाक मानसिक दासता* देश की तरक्की के लिए हर एक व्यक्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा, तभी देश का विकास होगा। इसके लिए सभी बुद्धिजीवियों को मिलकर समाज में अंधविश्वास, पाखंड और तमाम सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष की जरूरत है। हमारा देश सोने की चिड़िया था। खुशहाल और भोलाभाला देश। इसमें विदेशी व्यापार क्या करने आए। व्यापार के साथ उसकी नीयत बिगड़ गई। देखा कि यहां के लोग भोले-भाले हैं, इन्हें मूर्ख बनाए जा सकते हैं। बेवकूफ तो बनाए, लेकिन गुलाम भी बना दिए गए। शारीरिक गुलामी से व्यक्ति ज्यादा समय तक गुलाम नहीं रह सकता। आज नहीं तो कल गुलामी से मुक्ति पा जाएगा, अगर मुक्त नहीं हुआ तो शरीर को त्यागने के बाद तो शारीरिक गुलामी से मुक्ति मिल ही जाएगा। इसलिए विदेशियों ने सोचा भारत के मूलनिवासियों को ज्यादा समय तक गुलाम बनाना है तो मानसिक गुलामी पर ध्यान देना चाहिए। और ऐसा ही किया। यहां के निवासियों को धार्मिक पाखंड, अंधविशास और सामाजिक बुराइयों में ढकेल दिया। इसके बाद  आज भी मानसिक गुलामी से नहीं निकल पाए। *जागरूक करने वालों को लोग समझते हैं दुश्मन* देश तो आजाद ...