चमकदार लिबासों में लिपटे लोग चाहे अंग्रेजों के समय के हों या 1947 के बाद के हों, वे सोच भी नहीं सकते कि हमारा देश आजाद कब हुआ था ? 1947 में या 2014 में।* वे गुलाम ही कब थे ?
*~~~~~~छद्म इतिहास~~~~~~* *चमकदार लिबासों में लिपटे लोग चाहे अंग्रेजों के समय के हों या 1947 के बाद के हों, वे सोच भी नहीं सकते कि हमारा देश आजाद कब हुआ था ? 1947 में या 2014 में।* वे गुलाम ही कब थे ? उन्हें आजादी की दरकार ही नहीं थी। *हाँ उनका जो वर्चस्व धीरे धीरे समाप्त हो रहा था उसके प्रति उनकी चिन्ता जायज थी। वे बिना वर्चस्व के रह कैसे पायेंगे ?* *उन्हें मुफ्त में गुलामों की लम्बी फ़ौज मिली हुयी थी। उसका भी दुख उन्हें सता रहा था। इसीलिये उनका स्पष्ट मानना था कि यदि अछूतों शूद्रों को अधिकार दिये जाते हैं तो उन्हें ऐसी आजादी नहीं चाहिये।* वे अंग्रेजों के गुलाम होना पसंद करेंगे लेकिन अधिकार विहीन समाज को अधिकार दे कर वे उन्हें अपने सिर पर किसी हाल में नहीं बैठा सकते हैं। *हम आज सोचते हैं कि उन लोगों के दिल और दिमाग़ में कितनी नफ़रत और घृणा भरी हुयी थी।* *भारतवर्ष का एक हिस्सा अंडमान और निकोबार भी है। गाँव देहात और दूरस्थ स्थानों में रहने वाले अनपढ़ लोग शायद आज भी इससे बाक़िफ़ नहीं हैं। हाँ यदि उसे कालापानी बोला जायेगा...