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संविधान_के_निर्माता_आंबेडकर जी के बारे में #सुप्रीम_कोर्ट के #वरिष्ठ_अधिवक्ता_साईंदीपक जी द्वारा दी जा रही #ऐतिहासिक_जानकारी (#Historical_Evidence)

  #संविधान_के_निर्माता_आंबेडकर जी के बारे में #सुप्रीम_कोर्ट के #वरिष्ठ_अधिवक्ता_साईंदीपक जी द्वारा दी जा रही #ऐतिहासिक_जानकारी (#Historical_Evidence) के अनुसार सभी मुसलमानों को भारत से पाकिस्तान जाना और सभी हिंदू, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध परिवारों को पाकिस्तान से भारत आना चाहिए था। परंतु ऐसा #गांधी_नेहरु और #कांग्रेस ने नहीं होने दिया ! जिस का नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान और बांग्लादेश (1947 का पूर्वी पाकिस्तान) में #Non_Muslims की जन संख्या 23% से घट कर #मात्र_3% ही रह गया है ! दूसरी तरफ भारत में #आंबेडकर_जी_के संविधान में बदलाव कर #ओबीसी_50% जन संख्या के लिए #मात्र_27% आरक्षित सरकारी नौकरियों में से भी #हिंदू_ओबीसी से छीन कर #90_मुस्लिम_सिख_ईसाई_जातियों के मुसलमानों को बांट कर #सेक्युलर_भारत में #गरीब_वंचित_पिछड़े_अतिपिछड़े_52%(OBC) समाज के साथ जानबूझ कर अन्याय किया गया है। क्योंकि "#आंबेडकर_जी_के_संविधान" में #धर्म_आधारित_आरक्षण का कोई प्रावधान  (धारा, उपधारा) ही नहीं दिया गया था, परंतु #मुस्लिम_सिख_ईसाई_धर्म के लोगों को #आरक्षण_की_नौकरियां और लाभ दिया जिन धर्मों को मानने वाल...

ज्ञान को बाँटने की भावना ही सच्चा सामाजिक कर्म है

  ज्ञान को बाँटने की भावना ही सच्चा सामाजिक कर्म है ✍🏻 लेखक: दिनेश कुमार कुशवाहा मैंने अपना बचपन पटना के अपने घर में ब्रह्मणीय (धार्मिक और आध्यात्मिक) वातावरण में बिताया। घर-परिवार, आस-पास के लोग और मेरे मित्रों के परिवार — सभी में धार्मिक नियमों, रीति-नीतियों और आस्था का एक विशेष स्थान था। यह वातावरण मुझे बहुत कुछ सिखा गया। धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि संयम, सेवा और संस्कार भी है — यह मैंने वहीं सीखा। जब मैं दिल्ली आया, तो यहाँ का वातावरण कुछ भिन्न था। यहाँ जीवन का स्वरूप, सोचने का ढंग, लोगों की दिनचर्या — सब कुछ नया था। लेकिन यही विविधता मुझे कुछ नया देखने, जानने और समझने का अवसर देती गई। मैं उत्सुक था, जिज्ञासु था — इसलिए जीवन की हर नई सीख को अपने भीतर समेटता गया। कुछ समय बाद मेरी मित्रता बौद्ध मत मानने वाले साथियों से हुई। उनसे मिलने, बात करने और उनके साथ समय बिताने पर बुद्ध के विचारों को नजदीक से समझने का मौका मिला। मैंने देखा कि बुद्ध का दर्शन केवल एक धर्म नहीं, बल्कि मानवता का मार्गदर्शन है — जो जीवन के हर पहलू को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाने की प्रेरणा देता है। मै...

मिशन समाज प्रवर्तन के द्वारा एक प्रशिक्षण केडर तैयार किया जा रहा है जो तीन पार्ट (तीन हिस्से में)में एक-एक घंटे का रहेगा जो हमारी प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक वैचारिक शैक्षिक सामाजिक आर्थिक व्यवस्था

  मिशन समाज  प्रवर्तन के द्वारा एक प्रशिक्षण केडर तैयार किया जा रहा है जो तीन पार्ट (तीन हिस्से में)में एक-एक घंटे का रहेगा जो हमारी प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक वैचारिक शैक्षिक सामाजिक आर्थिक व्यवस्था के पुरातात्विक प्रमाणिक ऐतिहासिक साहित्यिक प्रमाण के आधार पर एक हिस्सा तथा भविष्य एवं वर्तमान पर एक-एक हिस्सा कैडर का रहेगा जिसमें उन सभी प्रमुख विद्वानों के विचार जो कैडर चलाते आए हैं चला रहे हैं और आगे चलाना चाहते हैं समाहित किया जाएगा इसी संदर्भ में हम आप सभी ग्रुप सदस्यों से निवेदन करते हैं कि आपके मन में यदि कोई प्रश्न हो जिसका उत्तर केडर में होना चाहिए मात्र अभी आपको अपने प्रश्न भेजना है जो सभी के मन में जानकारी हेतु उत्पन्न होते हैं या भ्रम पैदा करते हैं केडर पुस्तक में सभी के प्रश्न जो एक से होंगे सभी के नाम लिख रखा जाएगा और उसके उत्तर इस केडर में समाहित करने पूरा प्रयास किया जाएगा प्रश्न व्हाट्सएप की अधिकतम 10 लाइन में होना चाहिए यदि अधिक बड़ा है तो मेरे भेजे उसे मैं संक्षिप्त कर समाहित करूंगा  🙏🙏🙏आप सभी का अभिनंदन स्वागत वंदन बहुत-बहुत साधुवाद मंगल कामना है

क्या अंग्रेज बुरे थे?

  *👉 क्या अंग्रेज बुरे थे? 🤔* *#नरबलि :-*  जो कि शूद्रों की दी जाती थी। अंग्रेजों ने इसे रोकने के लिए 1830 में #कानून बनाया था। *#ब्राह्मण_जज_पर_रोक :-*  सन 1919 ईस्वी में अंग्रेजों ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी, अंग्रेजों ने कहा था कि इनका चरित्र न्यायिक नहीं होता है। *#शासन_में_ब्राह्मण :-* शासन व्यवस्था पर ब्राह्मणों का 100% कब्जा था। अंग्रेजों ने इन्हें 2.5% पर लाकर खड़ा कर दिया था। *#सम्पत्ति_का_अधिकार :-*  अंग्रेजों ने अधिनियम 11 के तहत शूद्रों को 1795 ईस्वी में संपत्ति रखने का अधिकार दिया था। *#देवदासी_प्रथा :-*  अंग्रेजों ने ही बंद कराई, इस प्रथा में यह होता था कि शूद्र समाज की लडकियाँ #मंदिरों_में_देवदासी के रूप में रहती थीं,पंडा-पुजारी उनके साथ छोटी उम्र में बलात्कार करना शुरू कर देते थे और उनसे जो बच्चा पैदा होता था , उसे हरिजन कहते थे। *#नववधू_शुद्धिकरण_प्रथा :-*  सन 1819 से पहले किसी शूद्र की शादी होती थी, तो ब्राह्मण उसका शुद्धीकरण करने के लिए नववधू को 3 दिन अपने पास रखते थे, उसके उपरांत उसको घर भेजते थे, इस प्रथा को अंग्रेजों ने...

EVM - चुनावों से परे लोकतंत्र: सहभागी नागरिक होने का वास्तविक अर्थ

  चुनावों से परे लोकतंत्र: सहभागी नागरिक होने का वास्तविक अर्थ (एक विचारोत्तेजक और तथ्यपरक लेख) लोकतंत्र को अक्सर हम चुनावों के पर्याय के रूप में देखते हैं। हर पाँच वर्ष में मताधिकार का प्रयोग करना, अपने पसंदीदा नेता या पार्टी को वोट देना—यही नागरिक कर्तव्य मान लिया गया है। लेकिन क्या यही लोकतंत्र है? क्या चुनाव ही लोकतंत्र का सार हैं? असल में लोकतंत्र का तात्पर्य केवल शासन-प्रणाली नहीं, बल्कि एक जीवन-पद्धति है—एक ऐसा ढाँचा जो नागरिकों की निरंतर सक्रिय भागीदारी पर आधारित होता है। अगर हम इसे केवल मतपेटी तक सीमित कर दें, तो हम उसकी आत्मा को खो बैठते हैं। 1. लोकतंत्र का अधूरा विमर्श: चुनावों तक सीमित समझ भारत जैसे विशाल देश में लोकतंत्र को अक्सर इस रूप में परिभाषित किया जाता है—“जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन।” लेकिन वास्तविकता यह है कि जनता से तात्पर्य केवल मतदाता बनकर रह गया है, न कि जागरूक, जिम्मेदार और सतत् सहभागी नागरिक के रूप में। राजनीतिक दल भी चुनावों के दौरान ही जनता के पास आते हैं, वादे करते हैं, फिर पाँच वर्षों तक गायब हो जाते हैं। आम नागरिक भी चुनाव के बाद राजनीति ...

माननीय महोदय सत्यता का आभास करने के लिए तथा गुलामों को गुलामी का अहसास करने के लिए बधाई।

  माननीय महोदय सत्यता का आभास करने के लिए तथा गुलामों को गुलामी का अहसास करने के लिए बधाई। दास! यदि अपनी वैधानिक विधिक समस्या से भी अवगत कराए तो स्वामी उसे सुनने के बजाय दमनात्मक एवम दंडात्मक कार्यवाही कर दास को अज्ञातवास में 10- 12 वर्षों के लिए भेज दिया जाता है क्योंकि प्रशासनिक दृष्टि से कार्यवाही करने वाले ही अपनी सीट परिवर्तित कर न्यायिक दृष्टिकोण से उस पर बैठकर कार्यवाही करते है तथा मनमाने रूप से सालों साल प्रकरण की साशय सुनवाई तक नहीं करते है इसी कारण न्याय विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को न्याय नहीं मिल पाता है किसी अन्य विभाग का कर्मचारी तथा अधिकारी होता तो उसे कब का न्याय मिल चुका होता इसके लिए आवश्यक है कि किसी अन्य स्वतंत्र अधिकरण का गठन होना चाहिए शीघ्र न्याय प्राप्त हो सके क्योंकि विलंब से मिला न्याय भी अन्याय के समान ही है।       जब सालों साल में कोई न्यायप्रिय जस्टिस के समक्ष ऐसे विरले मामले आते है तो वह वास्तव में अपनी ही संस्था की वास्तविकत बखिया उधेड़ते हुए वास्तविक न्याय तथा निर्णय करता है किंतु ऐसे व्यक्ति भी ज्यादा दिन तक न्यायपालिका में ब...

वो कमाल था , बेमिसाल था, जिसकी कलम में मिसाइल थी, जिसमे दम बेहिसाब था...

  वो कमाल था , बेमिसाल था, जिसकी कलम में मिसाइल थी, जिसमे दम बेहिसाब था... वो कलाम था  महान वैज्ञानिक, मिसाइल मैन, पूर्व राष्ट्रपति श्री ए पी जे अब्दुल कलाम साहब की पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन ..! #AbdulKalam  #apjabdulkalam #भारतरत्न

क्या ईसा से 600 साल पहले भारत में एक ऐसे dynamic person का जन्म हुआ था

  ईसा से 600 साल पहले भारत में एक ऐसे  dynamic person का जन्म हुआ था , जिसकी सोच से  उद्भूत वैज्ञानिक दर्शन ने लंबा सफर पूरा करते हुए कार्ल मार्क्स तक पहुंच कर पूर्णता प्राप्त की, उस दौर में उन्होंने जो कह दिया, उसे विज्ञान सम्मत होते हुए भी कहने की हिम्मत बहुत कम लोग कर सके , उन्होंने बुद्धत्व प्राप्त करके ,,बुद्ध ,, नाम धारण किया ,  उनका साहस असीम है , उन्होंने अपने मानने वालों /अनुयायियों को कोई निर्देश नहीं दिए,अपितु सुझाव दिए , जरा गौर कीजिए , आज भी यह कहने के लिए कितने लोग हिम्मत जुटा पाएंगे ,   १----अति ( अति भोग एवं अति त्याग ) के मार्ग के बजाय मध्य मार्ग अपनाना उचित है,      २---- वीणा का तार कसो, तो टूट जाता है, ढीला करो तो ध्वनि नहीं निकलती ,बीच में रखने पर सुमधुर आवाज निकलती है,     ३---- बौद्ध संघ के दरवाजे ब्राह्मण से  शूद्र तक सबके लिए खुले हैं, मानव सभी समान है,     ४---- कोई सन्यासी ,कोई बुद्ध  , कोई तथागत मुक्ति का मार्ग नहीं बता सकता ,वह तुम्हें खुद खोजना है , "आत्म दीपो भव "      ५--...

अश्वत्थामा कहाँ है ?

              *अश्वत्थामा कहाँ है ?*        असत्य को हवा दे‌ने में टीवी चैनल अपनी भूमिका बड़े मनोयोग से निभा रहे हैं। ये चैनल जिनके अधीन हैं वे आपको अंधकार से मुक्त नहीं होने देना चाहते हैं।     मध्य प्रदेश में एक जगह है आशीरगढ़ और वहाँ पर इसी नाम से एक किला है जो खण्डहर में तब्दील हो चुका है। ये किला कुछ ऊँचाई पर स्थित है। इस किले का जिक्र इतिहास में तो नहीं है लेकिन किंवदंतियों में है। इसे एक आशा नाम के अहीर ने बनवाया था। उसी के नाम पर (आशा + अहीर) का अपभ्रंश होकर आशीर हो गया है। आस पास के गाँवों में और भी कई तरह की कहानियाँ फैली हुई हैं। किले के प्रवेशद्वार में घुसते ही दाहिनी तरफ एक कब्रिस्तान बना हुआ ‌था। उन कब्रों के ऊपर बहुत आलीशान पत्थर लगे हुये थे। जिन कब्रों में दफनाये गये व्यक्तियों के बारे में जानकारी दी गयी थी। वे सारी कब्रें अँग्रेजों की थीं। बाद में कब्रों से उन पत्थरों को हटाकर गायब कर दिया गया। प्रवेश द्वार के सामने सीधे रास्ते पर कुछ दूरी पर बायें तरफ एक मस्जिद है। जो काफी ऊँचाई पर है। ऊपर की तरफ चढ़ने पर...

युग शुंग वंश का बीत गया~~~* *~~~फिर से छिड़ रही लड़ाई है

  *~~~युग शुंग वंश का बीत गया~~~* *~~~फिर से छिड़ रही लड़ाई है~~~* *अब महाबोधि की परछाई, सारी दुनिया में छाई है।* *सब आपस में ही पूछ रहे, किसकी हो गयी खुदाई है ?* ये वही पुरानी गाथा है, जब सिर थे कत्लेआम हुये। उत्तर पश्चिम व पूरब में, ये दक्षिण पंथी आम हुये। *जितना जो भी था नष्ट किया, जो शेष उसे कब्जाया था।* *आडम्बर को इतिहास बना, बस अपना पैर जमाया था।* कब्जा राजे रजवाड़ों पर, कब्जा था बुद्ध विहारों पर। नर से नारायण बना दिया, नारी भी है श्रृंगारों पर। *थे समण संस्कृति के वाहक, श्रम सस्ता था हर ओर यहाँ।* *सीमित साधन में सिमट गये, था दबा दिया हर शोर यहाँ।* जब से सस्ता श्रम छूट गया, खण्डहर हुये हैं महल किले। परजीवी जहाँ जहाँ छाये, अपने सिस्टम से नहीं हिले। *झूठे हैं वेद पुराण और, शास्त्रों में यही बखाना है।* *हैं बने जन्म से श्रेष्ठ, इसी से उनका हर दीवाना है।* अंग्रेजों ने जो भी खोजा, हम उनके बड़े मुरीद हुये। जो खुद को श्रेष्ठ समझते हैं, सारे घोड़े की लीद हुये। *इस पीढ़ी की जिम्मेदारी, अब और अधिक बढ़ जाती है।* *नदिया से हो कर अलग नाव, जब और कहीं चढ़ जाती है।* आने वालों पर मत छोड़ो, अपना ही पैर...

महाबोधि महाविहार, बोधगया हिन्दूओं के अवैध कब्जे में है। हिन्दूओं के अवैध कब्जा छुडवाने की लिए बौद्धों के द्वारा आंदोलन लंबे अरसे से चल रहा है।

  धम्म साथियो, नमो बुद्धाय  महाबोधि महाविहार, बोधगया हिन्दूओं के अवैध कब्जे में है। हिन्दूओं के अवैध कब्जा छुडवाने की लिए बौद्धों के द्वारा आंदोलन लंबे अरसे से चल रहा है। जब भारत में बौद्धों का अस्तित्व अदृश्य था तब श्रीलंका से अनागारिक धम्मपाल जी ने महाबोधि महाविहार मुक्त करवाने के लिए लड़ाई लड़ी थी। इस लड़ाई के इतिहास की जानकारी अब बौद्धों को हो गई है।  1891 में अनागरिक धम्मपाल ने भारत स्थित बौद्ध गया के महाबोधि महाविहार की यात्रा की। यह वही जगह है जहाँ सिद्धार्थ गोतम को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। वे देखकर हैरान रह गए की किस प्रकार से पुरोहित वर्ग ने बुद्ध की मुर्तियों को हिन्दू देवी-देवता में बदल दिया है। इन विषमतावादियों ने तब बुद्ध महाविहार में बौद्धो को प्रवेश करने से भी निषेध कर रखा था। भारत में बुद्ध धम्म और बौद्ध तिर्थ-स्थलों की दुर्दशा देखकर अनागरिक धम्मपाल को बेहद दु:ख हुआ। बुद्ध धम्म स्थलों की बेहतरीन के लिए इन्होने विश्व के कई बौद्ध देशों को पत्र लिखा। इन्होने इसके लिए सन 1891 में महाबोधि सोसायटी की स्थापना की। तब इसका हेड आफिस कोलंबो था। किंतु शीध्र ही इसे...

साथियो, अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद का आज जन्मदिवस है। आज़ाद हिन्दुस्तान की मेहनतकश जनता की क्रान्तिचेतना के प्रतीक हैं।

  📮_____________📮 HSRA के कमाण्डर इन चीफ़ महान स्वतन्त्रता संग्रामी चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्‍मदिवस (23 जुलाई) के अवसर पर* _________________ साथियो, अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद का आज जन्मदिवस है। आज़ाद हिन्दुस्तान की मेहनतकश जनता की क्रान्तिचेतना के प्रतीक हैं। आज़ाद और अशफ़ाक़, बिस्मिल, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, भगवती चरण जैसे उनके साथी एक शोषणविहीन और समतामूलक समाज के लिए लड़ रहे थे। इनके दल हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसियेशन का जोकि आगे चलकर हिन्दुस्तान सोशेलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन के तौर पर विकसित हुआ का देश के स्वतन्त्रता संग्राम में अहम योगदान है। चन्द्रशेखर आज़ाद एचएसआरए के कमाण्डर इन चीफ़ बने।  आज़ाद सांगठनिक कौशल, सूझ-बूझ और अदम्य साहस रखने वाले क्रान्तिकारी थे। काकोरी ऐक्शन के बाद क्रान्तिकारी संगठन के बिखरे हुए सूत्रों को जोड़कर उसके पुनर्गठन का काम उन्हीं के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने अत्यन्त कुशलता, त्याग और साहस के साथ नौजवान क्रान्तिकारियों की टीम को संगठित, प्रेरित और सक्रिय किया। आज़ाद एक दृढ़ निश्चयी और विचारवान क्रान्तिकारी थे। किसी भी तर्कपूर्ण और नये विचार के प्रति वे सदा...

संतो का धम्म जर्जर नहीं होता, वह समयातीत नहीं होता है

  🌻धम्म प्रभात🌻  [ संतो का धम्म जर्जर नहीं होता, वह समयातीत नहीं होता है ] "जीरन्ति वे राजरथा सुचित्ता,  अथो  सरीरम्पि  जरं उपेति । सतंञ्च धम्मो न जरं उपेति,  सन्तो ह वे सब्भि पवेदयन्ति। ।"        - धम्मपद: जरा वग्गो   - राजा के  सुचित्रित रथ पुराना हो जाता है  तथा यह शरीर भी पुराना हो जाता है,  किन्तु संतो का धम्म  कभी  पुराना नहीं होता है।  संतो, सज्जन लोगों से ऐसा बताते है। अनाथपिण्डिक के द्वारा श्रावस्ती में बनाए हुए जेतवनाराम में भगवान विहार कर रहे थे। उस समय राजा प्रसेनजित को उपदेश देते हुए भगवान ने कहा- जिस प्रकार राजाओं के चित्रित रथ जीर्ण हो जाता है,उसी प्रकार यह शरीर भी जीर्ण हो जाता है,  वृद्धावस्था को प्राप्त होता है ।किन्तु, संतो का धम्म कभी क्षीण नहीं होता है। सज्जन पुरुष सज्जन पुरुषों से ऐसा कहते है। सन्तों का धम्म कभी क्षीण नहीं होता है । यह सनातन नियम है।  नमो बुद्धाय🙏🙏🙏 

एक अछूत स्वामी* *स्वामी अछूतानंद हरिहर*

          *एक अछूत स्वामी*       *स्वामी अछूतानंद हरिहर*              *(संस्मरण-7)*          *कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो एक ही अर्थ में प्रयोग किये जाते हैं। मगर उनके क्षेत्र अलग होने के कारण उनके उच्चारण में थोड़ा बहुत परिवर्तन अवश्य आ जाता है।* उसमें उस क्षेत्र की बोली जाने वाली भाषा का पुट अवश्य झलकता हुआ दिखाई पड़ जाता है। *उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अनुसूचित जाति की कुछ जातियों को मिला कर तथा इसी प्रकार अन्य पिछड़े वर्ग की कुछ जातियों को मिला कर गाली अथवा अभद्र भाषा के रूप में प्रयोग किया जाता है।*        ये परम्परा कहीं कहीं पर आज भी जारी है। *सामान्य लोगों के द्वारा कोरी-चमार, धोबी-धानुक, तेली-तमोली, अहीर-गड़रिया, काछी-किसान आदि का प्रयोग किया जाता हेै जिससे ये जातियाँ हमेशा हीन भावना से ग्रस्त रहें और कभी भी ऊँचा उठने का भाव इनके अन्दर पैदा न हो सके।* ब्रज क्षेत्र में, बुन्देलखण्ड में, अवधी / भोजपुरी क्षेत्र में इनके उच्चारण में ...

ये उनके ही वंशज हैं~~~~* *~~~जो धम्म गोल कर चले गये~

*~~~~ये उनके ही वंशज हैं~~~~* *~~~जो धम्म गोल कर चले गये~~* *राजनीति में मत बाँटो, बाबा साहब की हस्ती को।* *वरना जो भी किया धरा है, मिट्टी में मिल जायेगा।* सोच रहे हो बिना पढ़े ही, सागर पार उतर लोगे। मुरझाया है चेहरा सबका, क्या ऐसे खिल पायेगा ? *कूटनीति चलने वालों की, साजिश को समझो पहले।* *ये उनके ही वंशज हैं, जो धम्म गोल कर चले गये।* पर दुनिया ने उसी धम्म से, अपना दीप जलाया है। जन्म हुआ जिस जगह, उसी आँगन में सारे छले गये। *छिपा दिया था अन्धकूप में, नकली भगवा वालों ने।* *बचपन से अब तक देखा है, कोई नाम निशान नहीं।* धीरे धीरे जली आग से, तपन यहाँ महसूस हुयी। ताकतवर थे दुश्मन फिर भी, मिटा सके पहचान नहीं। *इसी दौर में उथल पुथल थी, और भावना आहत थी।* *जिनको जम कर चोट लगी थी, वे सबसे आगे आये।* अगुआई करने वालों का, झण्डा कांशीराम लिये। मिला विचार जहाँ पर सबका, संग संग भागे आये। *जिन्न निकल कर भीम राव का, भारत भर में घूम रहा।* *वे हतप्रभ थे सोच रहे थे, इसको तो दफनाया था।* हाथ बढ़ा कर प्रेम भाव का, खेल खेलने गये सभी। अन्दर अन्दर साहब ने भी, अपना काम बनाया था। *फिर क्या मछली फँसी जाल में, जान नहीं प...

मनुवादी भाजपा सरकार दुनियां के महानतम सम्राट अशोक जिनके नाम पर अशोका गार्डन एक बहुत बड़ा नगर है। उसका नाम बदलकर रामबाग करने का षड्यंत्र रचा गया है।

  मनुवादी भाजपा सरकार दुनियां के महानतम सम्राट अशोक जिनके नाम पर अशोका गार्डन एक बहुत बड़ा नगर है। उसका नाम बदलकर रामबाग करने का षड्यंत्र रचा गया है। बौद्ध धर्म का चोला पहने हुए बौद्ध भिक्षु वर्षावास में लगे हुए हैं। बौद्ध सम्मेलनों में मनुवादी ब्राह्मणों को अतिथि और मुख्य अतिथि के रूप में बुलाकर बौद्ध धर्म का विनाश करने पर तुले हुए हैं। यदि ऐसा नहीं है तो अशोका गार्डन का नाम बदलकर रामबाग किया जा रहा है। उसके खिलाफ मध्य प्रदेश और देश के बौद्ध भिक्षुओं ने तथाकथित बौद्ध मठाधीश और बौद्ध संगठनों के राष्ट्रीय नेताओं ने आंदोलन की खुली चेतावनी देना चाहिए। बल्कि आंदोलन का शंखनाद कर देना चाहिए। बौद्ध विरासतों  पर ब्राह्मण मनुवादियों ने वर्षों से कब्ज अतिक्रमण कर बौद्ध धर्म को भारत से मुक्त करने का बेड़ा उठाया है। इसी कड़ी में बोधगया महाबोधि महाविहार मुक्त किए जाने समूचे देश में धरना प्रदर्शन आंदोलन सभा सम्मेलन हो रहे हैं। परंतु भोपाल के अशोका गार्डन का नाम रामबाग किए जाने की किसी को हवा भी नहीं लगी है।

निचली अदालतों के शूद्र जज जब अपनी समस्या उठाते है तो समस्या सही होने के बावजूद हाइकोर्ट के कतिपय सवर्ण जज द्वारा दमनात्मक एवम दंडात्मक कार्यवाही की जाती है।

  वास्तव में हो तो ऐसा ही रहा है निचली अदालतों के शूद्र जज जब अपनी समस्या उठाते है तो समस्या सही होने के बावजूद हाइकोर्ट के कतिपय सवर्ण जज द्वारा दमनात्मक एवम दंडात्मक कार्यवाही की जाती है। इसी कारण तो सामंतवादी व्यवस्था में वर्तमान में फर्जी डिग्री वाले जजों तथा अयोग्य अपर जिला न्यायाधीश की नियुक्ति को अवैध,अनियमित, पक्षपात भेदभावपूर्ण कार्यों तथा खुले भ्रष्ट कार्यों एवं भ्रष्टाचार को तथा कतिपय भ्रष्ट जजों को जांच में भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाए जाने पर भी उन्हें दण्डित नहीं किया जाकर उन्हें उपकृत किया जाता है और जिस पर पूरे सेवाकाल में एक कलंक तक नहीं लगा अर्थात प्रारंभिक एवं विभागीय जांच में कभी भी दोषी तक नहीं पाया गया और न ही पूरे सेवाकाल में वार्षिक गोपनीय चरित्रावली में किसी प्रकार के कोई विपरीत तथ्य लेख हो उसे टारगेट किया जाता है इसी तरह जो इन अवैध पक्षपात भ्रष्ट कृत्यों के विरुद्ध आवाज उठाता है तो उसे नियम कायदों, प्रचलित कानून एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट तथा माननीय हाइकोर्ट के स्पष्ट दिशानिर्देशों का खुला सामूहिक चीरहरण एवं प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध बलात्संग किया जा...

सबसे बड़ा देशद्रोही, गद्दार, नमकहराम वह व्यक्ति है,

  सबसे बड़ा देशद्रोही, गद्दार, नमकहराम वह व्यक्ति है, जो: १. देश में नफ़रत फैलाता है, 2. जिसके मुंह में गंगा और दिमाग में दंगा करवाना होता है, 3. जो, झूठ के सिवा कभी सच बोलता ही नहीं, 4. जुमलेबाज नंबर वन है, 5. छोटी सी छोटी उपलब्धि को हौवा बनाकर पेश करता है, 6. अपने गिरेबान में न झांककर, बीते दिनों की सरकारों की आलोचना करता है, 7. अपनी नाकामी को छिपाने के लिए, दूसरे को दोषी ठहराता है, 8. जो चुनावी भाषणों में श्मशान एवं कब्रिस्तान की बात करता है, 9. एक नालायक पुत्र की तरह हमेशा देश की सम्पत्तियों को कौड़ी के बेचने की ठान रखा है, 10. अमीरों और गरीबों के बीच खाईं बढ़ाने के लिए सारी योजनाएं बनाता है, 11. आम जनता की सुरक्षा, उनके लिए रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार इत्यादि की व्यवस्था न करते हुए, अपने करोड़पति, अरबपति एवं कार्पोरेट मित्रों की सुख-समृद्धि के लिए सारे नियम कानून बनाता है, 12. सिर्फ घोषणाएं करना एवं कभी उनपर अमल न करना,जिसकी आदत बन गई हो, 13. सच्चाई से परे, सिर्फ दिखावा करना, देश की मुख्य समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाना, जिसकी रग रग में हो, 14. देश के अन्दर व...

क्या उदितराज जैसे दल बदलू अवसरवादी लोग संविधान, आरक्षण लोकतंत्र बचाएंगे ॽ विजय बौद्ध संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल मध्य प्रदेश,,

  क्या उदितराज जैसे दल बदलू अवसरवादी लोग संविधान, आरक्षण लोकतंत्र बचाएंगे ॽ विजय बौद्ध संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल मध्य प्रदेश,, जिन लोगों ने अपना जमीर बेचकर मनुवादियों के द्वारा दिए गए पद प्रतिष्ठा धन के प्रलोभन में कांग्रेस की कब्र खोदने का वर्षों तक काम किया है। और फासीवादी मनुवादी ताकतों को मजबूत करने का पाप किया है। क्या ऐसे अवसरवादी दलबदलु जो मनुवादियों की गोद में बैठे रहे, क्या वे लोग डॉक्टर अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान, आरक्षण, लोकतंत्र को बचाएंगे ॽ जो लोग कांग्रेस की कब्र खोदकर संविधान लोकतंत्र आरक्षण खत्म किए जाने के मनुवादियों के षड्यंत्र में शामिल रहे। क्या ऐसे अवसरवादी दल बदलू जिनका कोई ईमान धर्म नहीं है, ऐसे लोग अब संविधान आरक्षण लोकतंत्र बचाने के लिए सम्मेलन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के ऑडिटोरियम भवन में परिसर द्वारा आयोजित संविधान बचाओ जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी निजी क्षेत्र में आरक्षण और बोधगया टेंपल 1949 एक्ट में संशोधन किए जाने तथा ग्वालियर हाईकोर्ट में डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा स्थापित की जाने के मुद्दों को लेकर ...

महाबोधि महाविहार की जंग हम जीतेंगे, पोस्ट को पूरा पढ़ें, शेयर करें: भिक्षु महेंद्र महाथेरो

  *भारत के बौद्धों के लिए संदेश* 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷 *महाबोधि महाविहार की जंग हम जीतेंगे, पोस्ट को पूरा पढ़ें, शेयर करें: भिक्षु महेंद्र महाथेरो।*               महाबोधि महाविहार बुध्दगया प्रबंधन विवाद की सुनवाई सड़क पर नहीं, भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में 29 जुलाई 2025 को होगी। सुप्रीम कोर्ट में महाबोधि महाविहार बुद्धगया के मामले को बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत में  "महाराष्ट्र राज्य इकाई कानूनी प्रकोष्ठ के मुख्य सलाहकार"  प्रियदर्शी अशोक सम्राट अवार्ड से सम्मानित विद्वान बौद्ध अधिवक्ता शैलेश नारनवरे द्वारा पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलीलों, तर्कों एवं विश्व के बौद्धों की आस्था के आधार पर बौद्ध समुदाय की जीत होगी।           भारत में चंदा खाऊ संगठनों का धंधा अब मंदा हो गया है, जल्दी ही यह चंदा वसूली का खेल बंद होगा। माननीय सर्वोच्च अदालत में हम जीतेंगे और बुध्दगया महाबोधि महाविहार का प्रबंध भारत के शीलवान, विनय मार्ग पर चलने वाले परंपरागत बौद्धों के हाथों म...

हमारे देश में राजनीति बहुत गंदी चीज है इसमें कोई किसी का नहीं होता, इसमें सगा भाई भाई का दुश्मन बन जाता है

  हमारे देश में राजनीति बहुत गंदी चीज है इसमें कोई किसी का नहीं होता, इसमें सगा भाई भाई का दुश्मन बन जाता है ओर एक बार राजनीति में तलवे चाटने की आदत पड़ जाए तो फिर ये ता उम्र रहती है छोटी राजनीति गली मोहल्ले के नेता अपनी पार्टी के बड़े नेताओं के तलवे चाटते है,पर अगर किसी पार्टी ने आपको ऊंचे पद पर विराजमान कर दिया है तो ये पार्टी के आला अधिकारी नेता आपकी छवि को किसी भी समय धूमिल कर सकते है यहां भी ऐसा ही हुआ है हमारे देश के उप राष्ट्रपति श्री मान जगदीश धनकड़ जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है धनकड़ साहब हमेशा सच ही बोलते थे पर उनको भी सच नहीं बोलने दिया गया ओर ना ही आप जिस समाज से बिलोंग करते हो अब आप केवल अपनी पार्टी यानी बी जे पी के लिये ही बोल सकते हो ओर पार्टी के लिए ही बोलना होगा, ना कि अपने समाज के लिए,आप अपने समाज के लिए कुछ अच्छा नहीं कर सकते, आपका भाई  बैरवा क्रांतिकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौरी शंकर बैरवा एडवोकेट 

वर्ण भेद का रहस्य

  *~~~~वर्ण भेद का रहस्य~~~~*         *सन उन्नीस सौ सैंतालीस के बाद की गति विधियों को यदि गंभीरता से देखा जाये तो पूरे देश का वातावरण बहुत ही शान्त नजर आ रहा था।* मगर एक गोली चलाने वाले ने सारे देश का नजारा ही बदल दिया। ये काम उस व्यक्ति ने स्वयं ही किया था। उसने किसी को उकसाया भी होगा पर वह काम नहीं आया होगा। वैसे भी अंग्रेजों की मार से पूरा देश ही बेहाल था। *केवल मुखबिरी करने वाले निश्चिन्त थे।* आज भी वे ही निश्चिन्त नजर आ रहे हैं। *हाँ एक युवा वर्ग लड़के और लड़कियों का अवश्य है जो परेशान और विक्षिप्त जैसी हालत में अपने उदगारों को व्यक्त करने में लगा हुआ है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो काफी वायरल हो रहे हैं।*         *मनुस्मृति की वकालत करने वाले उस दौर में क्षत्रियों को उकसाने में सफल रहे।* क्या वे आज फिर अपने मकसद में सफल होते हुये दिखायी पड़ रहे हैं ? *अब ये तो तथाकथित क्षत्रियों को सोचना है कि वे कौन हैं ? क्योंकि उनके धर्म ग्रंथों के अनुसार परशुराम ने पृथ्वी को इक्कीस बार क्षत्रिय विहीन कर दिया था फिर ये क्षत्रिय बार बार कहाँ से पैदा होते ग...