*~~~जुमलों की भरमार हुयी है~~~* *~~~~जागो अब भी मौका है~~~* *पाप करो तुम धोये गंगा, ये भी मंत्र अनोखा है।* *पढ़े लिखे हो सोच समझ लो, इसमें कितना धोखा है ?* नदियों को गंदा कर डाला, इनके खेल तमाशों ने। कोरोना में खुला खेल, बतलाया बहती लाशों ने। *आँख बंद पर कान खुले थे, धर्म लिये सब भागे थे।* *जिन्हें चिता की आग मिली न, क्या वे सभी अभागे थे ?* नहीं नियंत्रण कर पाये तब, तंत्र मंत्र बेकार हुये। कितने डूब मरे गंगा में, कितने भव के पार हुये ? *शब्द गढ़े हैं ऐसे जिनका, कहीं ओर न छोर मिला।* *मुक्ति बाँटने वाला सबको, तब कितना कमजोर मिला ?* मुँह में मास्क लगा कर सबको, खेल दिखाता रहा यहाँ। कोरोनिल की गोली से ही, राज सिखाता रहा यहाँ। *ये व्यापारी रहे मौत के, समझो इनकी चालों को।* *जंग नहीं लगने देना है, अपने बरछी भालों को।* गुजर चुकी है बड़ी त्रासदी, आगे क्या हो पता नहीं ? हाथ हिला कर ये कह देंगे, उनकी कोई खता नहीं। *अगर आत्म निर्भर सब होंगे, फिर ये क्या क्या छाँटेंगे ?* *फुरसत के क्षण इन्हें मिलेंगे, बाँटेंगे फिर काटेंगे।* जुमलों की भरमार हुयी है, जागो अब भी मौका है। कितने रन बटोर पाये हो, उनका हरदम च...